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दादासाहेब फाल्के शनि साढ़ेसाती रिपोर्ट

नाम दादासाहेब फाल्के
जन्म तिथि 19 : 3 : 1871 जन्म समय 20 : 34 : 32
जन्म स्थान Trimbakeshwar
लिंग पुरुष तिथि चतुर्दशी
राशि कुम्भ नक्षत्र शतभिषा
क्र.सं साढ़ेसाती / पनौती शनि राशि आरंभ दिनांक अंत दिनांक चरण
1 साढ़े साती मकर 01/01/1873 03/25/1875 उदय
2 साढ़े साती कुम्भ 03/26/1875 08/23/1875 शिखर
3 साढ़े साती मकर 08/24/1875 12/20/1875 उदय
4 साढ़े साती कुम्भ 12/21/1875 03/06/1878 शिखर
5 साढ़े साती मीन 03/07/1878 05/05/1880 अस्त
6 साढ़े साती मीन 12/15/1880 01/02/1881 अस्त
7 छोटी पनौती वृषभ 06/30/1882 11/20/1882
8 छोटी पनौती वृषभ 03/20/1883 08/19/1884
9 छोटी पनौती वृषभ 11/24/1884 05/05/1885
10 छोटी पनौती कन्या 09/29/1891 12/06/1893
11 छोटी पनौती कन्या 04/05/1894 09/01/1894
12 साढ़े साती मकर 02/12/1902 08/15/1902 उदय
13 साढ़े साती मकर 11/06/1902 02/04/1905 उदय
14 साढ़े साती कुम्भ 02/05/1905 04/19/1907 शिखर
15 साढ़े साती मीन 04/20/1907 10/07/1907 अस्त
16 साढ़े साती कुम्भ 10/08/1907 01/10/1908 शिखर
17 साढ़े साती मीन 01/11/1908 07/08/1909 अस्त
18 साढ़े साती मीन 09/02/1909 03/18/1910 अस्त
19 छोटी पनौती वृषभ 05/08/1912 06/20/1914
20 छोटी पनौती कन्या 11/17/1920 02/23/1921
21 छोटी पनौती कन्या 08/09/1921 10/15/1923
22 साढ़े साती मकर 04/12/1931 05/25/1931 उदय
23 साढ़े साती मकर 12/25/1931 03/15/1934 उदय
24 साढ़े साती कुम्भ 03/16/1934 09/13/1934 शिखर
25 साढ़े साती मकर 09/14/1934 12/07/1934 उदय
26 साढ़े साती कुम्भ 12/08/1934 02/25/1937 शिखर
27 साढ़े साती मीन 02/26/1937 04/27/1939 अस्त
28 छोटी पनौती वृषभ 06/19/1941 12/14/1941
29 छोटी पनौती वृषभ 03/04/1942 08/05/1943
30 छोटी पनौती वृषभ 12/17/1943 04/23/1944
31 छोटी पनौती कन्या 09/20/1950 11/25/1952
32 छोटी पनौती कन्या 04/24/1953 08/20/1953
33 साढ़े साती मकर 02/02/1961 09/17/1961 उदय
34 साढ़े साती मकर 10/08/1961 01/27/1964 उदय
35 साढ़े साती कुम्भ 01/28/1964 04/08/1966 शिखर
36 साढ़े साती मीन 04/09/1966 11/02/1966 अस्त
37 साढ़े साती कुम्भ 11/03/1966 12/19/1966 शिखर
38 साढ़े साती मीन 12/20/1966 06/16/1968 अस्त
39 साढ़े साती मीन 09/28/1968 03/07/1969 अस्त
40 छोटी पनौती वृषभ 04/28/1971 06/10/1973
41 छोटी पनौती कन्या 11/04/1979 03/14/1980
42 छोटी पनौती कन्या 07/27/1980 10/05/1982
43 साढ़े साती मकर 03/21/1990 06/20/1990 उदय

शनि साढ़े साती: उदय चरण

यह शनि साढ़े साती का आरम्भिक दौर है। इस दौरान शनि चन्द्र से बारहवें भाव में स्थित होगा। आम तौर पर यह आर्थिक हानि, छुपे हुए शत्रुओं से नुक़सान, नुरुद्देश्य यात्रा, विवाद और निर्धनता को दर्शाता है। इस कालखण्ड में दादासाहेब फाल्के को गुप्त शत्रुओं द्वारा पैदा की हुई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। सहकर्मियों से संबंध अच्छे नहीं रहेंगे और वे दादासाहेब फाल्के के कार्यक्षेत्र में बाधाएँ खड़ी कर सकते हैं। घरेलू मामलों में भी दादासाहेब फाल्के को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, जिसके चलते तनाव और दबाव की स्थिति पैदा होगी। दादासाहेब फाल्के को अपने ख़र्चों पर नियन्त्रण करने की आवश्यकता है, अन्यथा दादासाहेब फाल्के अधिक बड़े आर्थिक संकट में फँस सकते हैं। इस दौरान लम्बी दूरी की यात्राएँ फलदायी नहीं रहेंगी। शनि का स्वभाव विलम्ब और तनाव पैदा करने का है। हालाँकि अन्ततः दादासाहेब फाल्के को परिणाम ज़रूर मिलेगा। इसलिए धैर्य रखें और सही समय की प्रतीक्षा करें। इस दौर को सीखने का समय समझें और कड़ी मेहनत करें, परिस्थितियाँ स्वतः सही होती चली जाएंगी। इस समय व्यवसाय में कोई भी बड़ा ख़तरा या चुनौती न मोल लें।

शनि साढ़े साती: शिखर चरण

यह शनि साढ़े साती का चरम है। प्रायः यह दौर सबसे मुश्किल होता है। इस समय चन्द्र पर गोचर करता हुआ शनि स्वास्थ्य-संबंधी समस्या, चरित्र-हनन की कोशिश, रिश्तों में दरार, मानसिक अशान्ति और दुःख की ओर संकेत करता है। इस दौरान दादासाहेब फाल्के सफलता पाने में कठिनाई महसूस करेंगे। दादासाहेब फाल्के को अपनी कड़ी मेहनत का परिणाम नहीं मिलेगा और ख़ुद को बंधा हुआ अनुभव करेंगे। दादासाहेब फाल्के की सेहत और प्रतिरक्षा-तन्त्र पर्याप्त सशक्त नहीं होंगे। क्योंकि पहला भाव स्वास्थ्य को दर्शाता है इसलिए दादासाहेब फाल्के को नियमित व्यायाम और अपनी सेहत का ख़ास ख़याल रखने की ज़रूरत है, नहीं तो दादासाहेब फाल्के संक्रामक रोगों की चपेट में आ सकते हैं। साथ ही दादासाहेब फाल्के को मानसिक अवसाद और अज्ञात भय या फ़ोबिया आदि का सामना भी करना पड़ सकता है। संभव है कि इस काल-खण्ड में दादासाहेब फाल्के की सोच, कार्य और निर्णय करने की क्षमता में स्पष्टता का अभाव रहे। संतोषपूर्वक परिस्थितियों को स्वीकार करना और मूलभूत काम ठीक तरह से करना दादासाहेब फाल्के को इस संकट की घड़ी से निकाल सकता है।

शनि साढ़े साती: अस्त चरण

यह शनि साढ़े साती का अन्तिम चरण है। इस समय शनि चन्द्र से दूसरे भाव में गोचर कर रहा होगा, जो व्यक्तिगत और वित्तीय मोर्चे पर कठिनाइयों को इंगित करता है। साढ़े साती के दो मुश्किल चरणों से गुज़रने के बाद दादासाहेब फाल्के कुछ राहत महसूस करने लगेंगे। फिर भी इस दौरान ग़लतफ़हमी आर्थिक दबाव देखा जा सकता है। व्यय में वृद्धि होगी और दादासाहेब फाल्के को इसपर लगाम लगाने की अब भी ज़रूरत है। अचानक हुई आर्थिक हानि और चोरी की संभावना को भी इस दौरान नहीं नकारा जा सकता है। दादासाहेब फाल्के की सोच नकारात्मक हो सकती है। दादासाहेब फाल्के को उत्साह के साथ परिस्थितियों का सामना करना चाहिए। दादासाहेब फाल्के को व्यक्तिगत और पारिवारिक तौर पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है, नहीं तो बड़ी परेशानियाँ पैदा हो सकती हैं। विद्यार्थियों के लिए पढ़ाई-लिखाई पर थोड़ा नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है और उन्हें पिछले स्तर पर बने रहने के लिए अधिक परिश्रम की ज़रूरत होगी। परिणाम धीरे-धीरे और प्रायः हमेशा विलम्ब से प्राप्त होंगे। यह काल-खण्ड ख़तरे को भी दर्शाता है, अतः गाड़ी चलाते समय विशेष सावधानी अपेक्षित है। यदि संभव हो तो मांसाहार और मदिरापान से दूर रहकर शनि को प्रसन्न रखें। यदि दादासाहेब फाल्के समझदारी से काम लेंगे, तो घरेलू व आर्थिक मामलों में आने वाली परेशानियों को भली-भांति हल करने में सफल रहेंगे।

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