आचार्य चतुसेन
Aug 22, 1891
19:30:00
Sikandrabad
77 E 42
28 N 28
5.5
Lagna Phal (Garg)
संदर्भ (स.)
आचार्य चतुरसेन सौन्दर्य-प्रेमी हैं, चाहे वह कला, दर्शनीयस्थल या आकर्षक व्यक्ति ही क्यों न हो। आचार्य चतुरसेन केवल बाह्य सौन्दर्य ही नहीं,अपितु आन्तरिक सौन्दर्य के प्रति भी आकर्षित होते हैं। अच्छा संगीत आचार्य चतुरसेन को पसन्द आता है, किसी व्यक्ति का सच्चरित्र आचार्य चतुरसेन को पसन्द आता है। आचार्य चतुरसेन सामान्य से ऊपर प्रत्येक वस्तुओं के पारखी हैं।दूसरों को खुश करने की आचार्य चतुरसेन के अन्दर नैसर्गिक क्षमता है। आचार्य चतुरसेन परेशान लोेगों को सान्त्वना देना अच्छी तरह से जानते हैं और आचार्य चतुरसेन जानते हैं कि लोगों को अपने आचार्य चतुरसेन से खुश कैसे रखा जाये। यह एक विरला गुण हैं एवं इस कारण संसार में आचार्य चतुरसेन जैसे व्यक्ति कम ही हैं।आचार्य चतुरसेन अन्य लोगों जितने व्यावहारिक नहीं है और आचार्य चतुरसेन समय के भी पाबन्द नहीं हैं।आचार्य चतुरसेन आवश्यकता से अधिक संवेदनशील और जो कि आचार्य चतुरसेन को कभी-कभी परेशानी में डाल देती है परन्तु आचार्य चतुरसेन की खिन्नता लड़ाई-झगड़े के रूप में बाहर नहीं आती है। असामंजस्य से आचार्य चतुरसेन हर कीमत पर दूर रहते हैं। सम्भवतः आचार्य चतुरसेन अपने मन से दुःख को दूर रखते हैं।
आचार्य चतुरसेन आदर्शवादी व प्रेरणादायक हैं, क्योंकि आचार्य चतुरसेन में अन्तर्निहित आध्यात्मिक विश्वास है। आचार्य चतुरसेन बहुत संवेदनशील, लोकप्रिय और दूसरों की भावनाओं की कद्र करने वाले हैं। आचार्य चतुरसेन ये जानते हैं कि जीवन की कठिनाइयाँ ही जीवन का पाठ हैं, जो कि आचार्य चतुरसेन को पूर्णता प्राप्ति के लिये सीखने पड़ेंगे और यही आचार्य चतुरसेन के सुख का प्रमुख कारण भी है।आचार्य चतुरसेन अपने अंदर गूढ़ रहस्य समाए हुए रहते हैं। इसी वजह से सामान्य विषयों से इतर आचार्य चतुरसेन की पकड़ कुछ ऐसे विषयों पर होगी जो हर किसी के बस की बात नहीं होगी। दूसरी ओर सामान्य शिक्षा की बात करें तो आचार्य चतुरसेन को उसमें चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। अत्यधिक मेहनत और लगन के साथ प्रयास करने पर ही शिक्षा में सफलता मिल सकती है। आचार्य चतुरसेन को नियमित रूप से अपनी विद्या के प्रति जागरूक रहना होगा और अभ्यास करना होगा ताकि आचार्य चतुरसेन विषयों को समझकर उन्हें अपने अंदर समाहित कर सकें। अक्सर आचार्य चतुरसेन बुरी संगति के शिकार हो जाते हैं। आचार्य चतुरसेन को इस ओर विशेष रुप से ध्यान देना चाहिए क्योंकि बुरी संगति के कारण आचार्य चतुरसेन की शिक्षा पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा और ऐसी संभावना है कि आचार्य चतुरसेन की शिक्षा में रुकावट आए। कई बार स्थितियां आचार्य चतुरसेन के विपरीत होंगी और आचार्य चतुरसेन को शिक्षा से विमुख कर सकती हैं, इसलिए आचार्य चतुरसेन को अपनी शिक्षा के मामले में गंभीरता से विचार करते हुए उस पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
आचार्य चतुरसेन को ऐसा लगता है कि जब आचार्य चतुरसेन के पास धन और भौतिक ऐश्वर्य होगा तभी लोग आचार्य चतुरसेन का सम्मान करेंगे। किन्तु यह सत्य नहीं है, अतः आचार्य चतुरसेन वही कार्य करें जो आचार्य चतुरसेन करना चाहते हैं।