ईसाई
Sep 8, 1943
16:0:0
13 E 22, 38 N 7
13 E 22
38 N 7
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Internet
संदर्भ (स.)
ക്രിസ്ത്യൻ एक रहस्यमय व्यक्तित्व के स्वामी हैं। ക്രിസ്ത്യൻ अपने ക്രിസ്ത്യൻ को जानने वाले एकमात्र व्यक्ति हैं। ക്രിസ്ത്യൻ अपने साधारण स्वभाव से पूर्णतः विपरीत व्यवहार करने की क्षमता रखते हैं।ക്രിസ്ത്യൻ के अन्दर एक अद्भुत आकर्षण-शक्ति है और इसका प्रयोग ക്രിസ്ത്യൻ अच्छे या बुरे, दोनों तरह के कामों के लिये कर सकते हैं। ക്രിസ്ത്യൻ इसे कैसे करते हैं यह पूर्णतः ക്രിസ്ത്യൻ की इच्छा पर निर्भर करता है। भाग्यवश ക്രിസ്ത്യൻ स्वयं को अच्छा करने के लिये नियंत्रित कर सकते हैं और परिणामस्वरूप ക്രിസ്ത്യൻ की इस आकर्षण शक्ति का दूसरों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।ക്രിസ്ത്യൻ व्यापक दिलोदिमाग के व्यक्ति हैं। ക്രിസ്ത്യൻ दूसरों की मदद करने के लिये सदैव तत्पर रहते हैं। ക്രിസ്ത്യൻ खुशहाली की महत्ता को समझते हैं और उसे प्राप्त करना भी जानते हैं परन्तु ക്രിസ്ത്യൻ दूसरों की कीमत पर खुशहाली कभी भी प्राप्त नहीं करते हैं। निश्चय ही ക്രിസ്ത്യൻ दूसरों की खुशी को प्राथमिकता देते हैं।ക്രിസ്ത്യൻ एक सहानुभूतिपूर्ण, परिश्रमी, उदार एवं दोस्ताना मिजाज व्यक्ति हैं लेकिन ക്രിസ്ത്യൻ शीध्र ही क्रोधित हो जाते हैं। जब ക്രിസ്ത്യൻ क्रुद्ध होते हैं तो ക്രിസ്ത്യൻ पूर्णतः आत्मनियंत्रण खो देते हैं और ऐसे काम कर बैठते हैं जिसके लिये बाद में ക്രിസ്ത്യൻ को पछताना पड़ता है। अतः ക്രിസ്ത്യൻ को स्वयं पर बेहतर नियंत्रण रखने का प्रयास करना चाहिये।
ക്രിസ്ത്യൻ वस्तु व व्यक्ति के आर-पार देख सकते हैं,अर्थात् ക്രിസ്ത്യൻ से कुछ भी छुपाना सम्भव नहीं है। ക്രിസ്ത്യൻ की अन्तर्दृष्टि की यही स्पष्टता ക്രിസ്ത്യൻ को विपक्षियों से पार पाने में व सन्तोष प्राप्त करने में ക്രിസ്ത്യൻ की सहायता करती है। ക്രിസ്ത്യൻ के अन्दर परिस्थितियों को तुरन्त समझने की एवं समस्याओं के त्वरित निराकरण की क्षमता है।ക്രിസ്ത്യൻ लक्ष्य पर नियंत्रित रहने वाले हैं और किसी का भी दबाव महसूस नहीं करते। ക്രിസ്ത്യൻ स्वभाविक तौर पर एक विद्वान होंगे और समाज में ക്രിസ്ത്യൻ की छवि एक प्रतिष्ठित और ज्ञानी व्यक्ति के रूप में होगी। इसकी वजह होगी ക്രിസ്ത്യൻ का ज्ञान और ക്രിസ്ത്യൻ की शिक्षा। चाहे ക്രിസ്ത്യൻ अन्य चीजों को त्याग दें लेकिन शिक्षा में बेहतर करना ക്രിസ്ത്യൻ की सबसे पहली प्राथमिकता होगी और यही ക്രിസ്ത്യൻ को सबसे अलग रखेगी। ക്രിസ്ത്യൻ को अपने जीवन में अनेक ज्ञानी और प्रतिष्ठित लोगों के द्वारा मार्गदर्शन प्राप्त होगा और उसके परिणामस्वरुप ക്രിസ്ത്യൻ अपनी शिक्षा को उन्नत बना पाएंगे। ക്രിസ്ത്യൻ के अंदर सहज रूप से ज्ञान मौजूद है। ക്രിസ്ത്യൻ को केवल स्वयं को उन्नत बनाते हुए उस ज्ञान को अपने निजी जीवन में समाहित करने का प्रयास करना होगा। ज्ञान के प्रति ക്രിസ്ത്യൻ की भूख ക്രിസ്ത്യൻ को सबसे आगे रखेगी और इसी वजह से ക്രിസ്ത്യൻ की गिनती विद्वानों में होगी। कभी-कभी ക്രിസ്ത്യൻ अति स्वतंत्रता का शिकार हो जाते हैं, जिसकी वजह से ക്രിസ്ത്യൻ की शिक्षा बाधित हो सकती है, इसलिए इस से बचने का प्रयास करें।
ക്രിസ്ത്യൻ दूसरों की प्रशंसा करने में प्रायः कंजूसी करते हैं, जिस कारण ക്രിസ്ത്യൻ विरोध के पात्र बन जाते हैं। ക്രിസ്ത്യൻ के मन जो कुछ भी हो उसे आज से ही कहना आरम्भ करें। परिणामस्वरूप ക്രിസ്ത്യൻ लोगों से बेहतर सम्बन्ध पायेंगे।