दीनदयाल उपाध्याय
Sep 25, 1916
13:58:0
Mathura
77 E 42
27 N 30
5.5
765 Notable Horoscopes
संदर्भ (स.)
दीनदयाल उपाध्याय एक व्यावहारिक और क्षमतावान व्यक्ति हैं, दीनदयाल उपाध्याय की योग्यता पर कोई भी प्रश्नचिह्न नहीं लगा सकता। दीनदयाल उपाध्याय अनुशासित हैं और व्यवस्था को पसन्द करते हैं। ये गुण दीनदयाल उपाध्याय में पर्याप्त विकसित हैं और छोटी से छोटी बातों पर आवश्यकता से अधिक ध्यान देने के कारण दीनदयाल उपाध्याय जीवन की बृहत उपलब्धियों को प्राप्त नहीं कर पाते।दीनदयाल उपाध्याय संवेदनशील और सहृदय हैं। यदि दीनदयाल उपाध्याय को पता लगे कि दीनदयाल उपाध्याय का कोई निकट व्यक्ति अत्यन्त पीड़ा व दुःख में है, तो दीनदयाल उपाध्याय तुरन्त उसकी सहायता हेतु पहुँच जाते हैं।दीनदयाल उपाध्याय के अन्दर हिचकिचाहट है। यद्यपि दीनदयाल उपाध्याय के भीतर संसार में अपना मार्ग बनाने की क्षमता है। दीनदयाल उपाध्याय के अन्दर इतनी ऊर्जा है कि दीनदयाल उपाध्याय सफलता की किसी भी सीड़ी पर चढ़ सकें। किन्तु दीनदयाल उपाध्याय अपनी हिचकिचाहट के कारण अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाते, जबकि अन्य कम क्षमतावान लोग वहां तक पहुंच जाते हैं। अतः दीनदयाल उपाध्याय को अपनी काल्पनिक सीमाओं के बारे में सोचना नहीं चाहिए। दीनदयाल उपाध्याय को यह मानकर चलना चाहिए कि दीनदयाल उपाध्याय को सफलता मिलेगी हीे मिलेगी।दीनदयाल उपाध्याय वास्तविक तथा व्यावहारिक सोच रखते हैं। दीनदयाल उपाध्याय सदैव कुछ न कुछ प्राप्त करना चाहते हैं। दीनदयाल उपाध्याय के अन्तःकरण में कुछ पाने की इच्छा सदैव दीप्तिमान रहती है। यह दीनदयाल उपाध्याय को कभी-कभी व्यग्र बना देता है। लेकिन दीनदयाल उपाध्याय को अपनी उपलब्धियों पर सदैव हीे गर्व रहता है।
दीनदयाल उपाध्याय को प्रायः निराशा का सामना करना पडता है और दीनदयाल उपाध्याय को अधिक की उम्मीद रहती है। दीनदयाल उपाध्याय के इतने परेशान रहने के कारण दीनदयाल उपाध्याय को जिन बातों का डर लगता है वह प्रायः घटित हो जाती हैं। दीनदयाल उपाध्याय बहुत शर्मीले हैं, और स्वयं की अनुभूति एवं भावनाओं को व्यक्त करने में दीनदयाल उपाध्याय परेशानी महसूस करते हैं। यदि दीनदयाल उपाध्याय अपनी सारी सांसारिक समस्याओं को भूलकर प्रतिदिन कुछ क्षण ध्यान मुद्रा में बैठेंगे, तो पायेंगे कि दुनिया उतनी बुरी नहीं है जितनी प्रतीत होती है।दीनदयाल उपाध्याय एक ही स्थान पर टिककर रहने वालों में से नहीं होंगे और इसी वजह से अधिक समय तक अध्ययन करना दीनदयाल उपाध्याय को रास नहीं आएगा। इसका प्रभाव दीनदयाल उपाध्याय की शिक्षा पर पड़ सकता है और उसके कारण दीनदयाल उपाध्याय की शिक्षा में कुछ रुकावटें आ सकती है। अपने आलस्य पर विजय प्राप्त करने के बाद ही दीनदयाल उपाध्याय शिक्षा के क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। दीनदयाल उपाध्याय के अंदर अज्ञात को जानने की तीव्र उत्कंठा है और दीनदयाल उपाध्याय की कल्पनाशीलता दीनदयाल उपाध्याय को अपने विषयों में काफी हद तक सफलता दिलाएगी। इसका दूसरा पक्ष यह है कि दीनदयाल उपाध्याय को अपनी एकाग्रता को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए ताकि जब दीनदयाल उपाध्याय अध्ययन करने बैठें तो दीनदयाल उपाध्याय को किसी तरह की समस्या का सामना ना करना पड़े और दीनदयाल उपाध्याय की स्मरण शक्ति भी दीनदयाल उपाध्याय की मदद करे। यदि दीनदयाल उपाध्याय मन लगाकर मेहनत करेंगे और अपनी शिक्षा के प्रति आशान्वित रहेंगे तो कितने भी व्यवधान आएं, दीनदयाल उपाध्याय अपने क्षेत्र में सफल होकर ही रहेंगे।
दीनदयाल उपाध्याय स्वयं को अभिव्यक्त करना पसन्द करते हैं और जब लोग देख रहे होते हैं तो दीनदयाल उपाध्याय कार्य को बेहतर तरीके से करते हैं। यदि दीनदयाल उपाध्याय मंचपर हों तो दीनदयाल उपाध्याय अधिक श्रोताओं के सम्मुख अपेक्षाकृत उत्तम प्रदर्शन करते हैं।