दिव्या भारती
Feb 25, 1974
23:00:00
Mumbai
72 E 50
18 N 58
5.5
Kundli Sangraha (Bhat)
सटीक (स.)
दिव्या भारती ने अपने जीवन का आरम्भ अनुकूल वातावरण में किया था। यह कहा जा सकता है कि दिव्या भारती एक उत्तम जन्मकुण्डली लेकर पैदा हुए हैं। साधारणतः दिव्या भारती की स्मरणशक्ति उत्तम है और दिव्या भारती एहसान को कभी नहीं भूलते हैं। दिव्या भारती आवश्यकता से अधिक उदार हैं। दिव्या भारती एक व्यवस्थित व्यक्ति हैं, जोकि दिव्या भारती के काम में झलकता भी है, खासकर दिव्या भारती के पहनावे और निवास-स्थान में।दिव्या भारती व्यक्तिगत रूप से आकर्षक, शालीन और सुलझे हुए हैं। दिव्या भारती बड़े दिल वाले और खुले दिमाग के व्यक्ति हैं। दिव्या भारती विपरीत परिस्थितियों में भी विचारवान रहते हैं। दिव्या भारती दृढ़चरित्र है।जन्म से ही दिव्या भारती के अन्दर नेतृत्व का गुण विद्यमान है, किन्तु दिव्या भारती इसका दिखावा पसन्द नहीं करते। दिव्या भारती का दृष्टिकोण व्यापक है और दिव्या भारती छोटी-छोटी बातों की परवाह नहीं करते हैं।दिव्या भारती एक महत्वाकांक्षी व्यक्ति हैं और अपने लिये ऊंचे लक्ष्य रखते हैं। प्रायः दिव्या भारती लक्ष्य से दूर रह जाते हैं, लेकिन जो दिव्या भारती को प्राप्त होता है वह भी सामान्य से अधिक होता है।
दिव्या भारती सकारात्मक सोच वाले और आत्मविश्वासी व्यक्ति हैं। दिव्या भारती सदैव कार्यों के सही होने की आशा करते हैं व वर्तमान परिणाम को जाने देने की क्षमता रखते हैं। दिव्या भारती दयालु तथा सहिष्णु हैं, व्यावहारिक हैं एवं सूक्ष्म गहराइयों में जाकर किसी भी अवधारणा को पूर्णतः समझते हैं। जीवन के प्रति दिव्या भारती विश्वास और दार्शनिक दृष्टिकोण रखते हैं, जो कि जीवन मेें दिव्या भारती को कई मौके देता है और सफलता पाने में दिव्या भारती की मदद करता है।दिव्या भारती के अंदर गजब की फुर्ती है और दिव्या भारती जीवन में कुछ प्राप्त करना चाहते हैं, लेकिन अपने स्वयं के बनाए विरोधाभासों में फँस कर दिव्या भारती अपनी शिक्षा से विमुख हो सकते हैं। ऐसे में दिव्या भारती को इन सभी बातों को त्याग कर खुले दिल से सोचना चाहिए। दिव्या भारती को यह समझना चाहिए कि जो दिव्या भारती हैं, दिव्या भारती उससे भी बेहतर हो सकते हैं और उसके लिए दिव्या भारती को अपनी शिक्षा का दायरा बढ़ाना होगा। यदि दिव्या भारती एक योजना बना कर शिक्षा प्राप्त करेंगे तो दिव्या भारती को जबरदस्त सफलता हासिल होगी। दिव्या भारती जो कुछ भी जानते हैं उसे अन्य लोगों के समक्ष प्रस्तुत करना पसंद करते हैं। वास्तव में यहीं से दिव्या भारती सीखना प्रारंभ कर रहे हैं। क्योंकि जब दिव्या भारती थोड़ा भी जान जाते हैं और उसे लोगों के समक्ष प्रस्तुत करते हैं तो ऐसा करने से वह दिव्या भारती के चित्त की स्मृतियों में अंकित हो जाता है और यही दिव्या भारती को अपनी शिक्षा में मदद करता है। दिव्या भारती वास्तव में ऐसी शिक्षा प्राप्त करेंगे जो जीवन में दिव्या भारती को एक अच्छा मुकाम दिलाने में सहायक होगी और दिव्या भारती को मानसिक रुप से भी संतुष्टि प्रदान करेगी।
दिव्या भारती की कठिन परिश्रम की प्रेरणा का मूल धन प्राप्ति की कामना है, क्योंकि दिव्या भारती को लगता है कि भौतिक ऐश्वर्यपूर्ण वातावरण दूसरों से सम्मान पाने के लिये अनिवार्य है। परन्तु दिव्या भारती का ऐसा सोचना सही नहीे है, दिव्या भारती उस दिशा में तभी जाएं यदि दिव्या भारती को लगता है कि उस दिशा में सुख की प्राप्ति होगी।