के एस कृष्णमूर्ति
Nov 1, 1908
12:10:00
Shiruvaiyuru
79 E 6
10 N 53
5.5
Kundli Sangraha (Tendulkar)
सटीक (स.)
K S Krishnamurti एक व्यावहारिक और क्षमतावान व्यक्ति हैं, K S Krishnamurti की योग्यता पर कोई भी प्रश्नचिह्न नहीं लगा सकता। K S Krishnamurti अनुशासित हैं और व्यवस्था को पसन्द करते हैं। ये गुण K S Krishnamurti में पर्याप्त विकसित हैं और छोटी से छोटी बातों पर आवश्यकता से अधिक ध्यान देने के कारण K S Krishnamurti जीवन की बृहत उपलब्धियों को प्राप्त नहीं कर पाते।K S Krishnamurti संवेदनशील और सहृदय हैं। यदि K S Krishnamurti को पता लगे कि K S Krishnamurti का कोई निकट व्यक्ति अत्यन्त पीड़ा व दुःख में है, तो K S Krishnamurti तुरन्त उसकी सहायता हेतु पहुँच जाते हैं।K S Krishnamurti के अन्दर हिचकिचाहट है। यद्यपि K S Krishnamurti के भीतर संसार में अपना मार्ग बनाने की क्षमता है। K S Krishnamurti के अन्दर इतनी ऊर्जा है कि K S Krishnamurti सफलता की किसी भी सीड़ी पर चढ़ सकें। किन्तु K S Krishnamurti अपनी हिचकिचाहट के कारण अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाते, जबकि अन्य कम क्षमतावान लोग वहां तक पहुंच जाते हैं। अतः K S Krishnamurti को अपनी काल्पनिक सीमाओं के बारे में सोचना नहीं चाहिए। K S Krishnamurti को यह मानकर चलना चाहिए कि K S Krishnamurti को सफलता मिलेगी हीे मिलेगी।K S Krishnamurti वास्तविक तथा व्यावहारिक सोच रखते हैं। K S Krishnamurti सदैव कुछ न कुछ प्राप्त करना चाहते हैं। K S Krishnamurti के अन्तःकरण में कुछ पाने की इच्छा सदैव दीप्तिमान रहती है। यह K S Krishnamurti को कभी-कभी व्यग्र बना देता है। लेकिन K S Krishnamurti को अपनी उपलब्धियों पर सदैव हीे गर्व रहता है।
K S Krishnamurti को प्रायः निराशा का सामना करना पडता है और K S Krishnamurti को अधिक की उम्मीद रहती है। K S Krishnamurti के इतने परेशान रहने के कारण K S Krishnamurti को जिन बातों का डर लगता है वह प्रायः घटित हो जाती हैं। K S Krishnamurti बहुत शर्मीले हैं, और स्वयं की अनुभूति एवं भावनाओं को व्यक्त करने में K S Krishnamurti परेशानी महसूस करते हैं। यदि K S Krishnamurti अपनी सारी सांसारिक समस्याओं को भूलकर प्रतिदिन कुछ क्षण ध्यान मुद्रा में बैठेंगे, तो पायेंगे कि दुनिया उतनी बुरी नहीं है जितनी प्रतीत होती है।K S Krishnamurti एक ही स्थान पर टिककर रहने वालों में से नहीं होंगे और इसी वजह से अधिक समय तक अध्ययन करना K S Krishnamurti को रास नहीं आएगा। इसका प्रभाव K S Krishnamurti की शिक्षा पर पड़ सकता है और उसके कारण K S Krishnamurti की शिक्षा में कुछ रुकावटें आ सकती है। अपने आलस्य पर विजय प्राप्त करने के बाद ही K S Krishnamurti शिक्षा के क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। K S Krishnamurti के अंदर अज्ञात को जानने की तीव्र उत्कंठा है और K S Krishnamurti की कल्पनाशीलता K S Krishnamurti को अपने विषयों में काफी हद तक सफलता दिलाएगी। इसका दूसरा पक्ष यह है कि K S Krishnamurti को अपनी एकाग्रता को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए ताकि जब K S Krishnamurti अध्ययन करने बैठें तो K S Krishnamurti को किसी तरह की समस्या का सामना ना करना पड़े और K S Krishnamurti की स्मरण शक्ति भी K S Krishnamurti की मदद करे। यदि K S Krishnamurti मन लगाकर मेहनत करेंगे और अपनी शिक्षा के प्रति आशान्वित रहेंगे तो कितने भी व्यवधान आएं, K S Krishnamurti अपने क्षेत्र में सफल होकर ही रहेंगे।
K S Krishnamurti अन्य लोगों की अपेक्षा अधिक अन्तर्मुखी हैं। यदि K S Krishnamurti को बहुत से लोगों के समूह के सम्मुख जाना पड़े, तो K S Krishnamurti ‘स्टेज फोबिया’ से ग्रसित हो जाते हैं। K S Krishnamurti सबसे अधिक प्रेरित एकान्त में, इच्छानुसार कार्य अपनी गति से करने में होते हैं।