मोरारजी देसाई
Feb 29, 1896
13:38:19
Bhadeli
72 E 55
20 N 40
5.5
Kundli Sangraha (Bhat)
सटीक (स.)
मोरारजी देसाई के कुछ हद तक दार्शनिक चरित्र के हैं। मोरारजी देसाई एक विशाल हृदय वाले व्यक्ति हैं हालांकि थोड़े से मुंहफट भी हैं। मोरारजी देसाई काफी हद तक आत्मसम्मान के प्रति सचेत हैं और जो लोग मोरारजी देसाई के इस चारित्रिक गुण को समझते हैं, वे मोरारजी देसाई के अच्छे मित्र होते हैं।मोरारजी देसाई उच्च आदर्श रखते हैं, जिन्हें प्रायः वास्तविकता के धरातल पर नहीं उतारा जा सकता। परन्तु जब मोरारजी देसाई इसमें विफल होकर निराश हो जाते हैं तो मोरारजी देसाई इसी कारण अत्यन्त हीे व्यग्र हो जाते हैं, इसलिये मोरारजी देसाई समय से पूर्व ही कार्य के प्रति उदासीन हो जाते हैं। परिणामस्वरूप, मोरारजी देसाई जीवन में न तो सफलता और न ही प्रसन्नता, आराम की प्राप्ति कर पाते हैं, जो कि मोरारजी देसाई के गुणों को देखते हुए प्राप्त होनी चाहिए।मोरारजी देसाई जनता के समक्ष अपने मोरारजी देसाई को अभिव्यक्त करना जानते हैं और भगवान ने मोरारजी देसाई को प्रसन्नमुखी होने का वरदान दिया है। हंसमुख होने के कारण मोरारजी देसाई के अनेक मित्र हैं और मोरारजी देसाई उनका समय-समय पर मनोरंजन करते रहते हैं। मोरारजी देसाई के ऊपर मोरारजी देसाई के दोस्तों का प्रभाव देखा जा सकता है, लेकिन यह नितान्त आवश्यक है कि मोरारजी देसाई बुद्धिमत्तापूर्ण अपने मित्रों को चुनें।मोरारजी देसाई की विफलता का सबसे बड़ा कारण यह है कि मोरारजी देसाई बहुआयामी हैं, जिस कारणवश मोरारजी देसाई की शक्ति बहुत सी दिशाओं मेें विभक्त हो जाती है। कृपया एक ही दिशा में विचारपूर्वक कार्य करें, जिससे मोरारजी देसाई को अत्यन्त प्रसन्नता और लाभ प्राप्त होगा।
मोरारजी देसाई आदर्शवादी व प्रेरणादायक हैं, क्योंकि मोरारजी देसाई में अन्तर्निहित आध्यात्मिक विश्वास है। मोरारजी देसाई बहुत संवेदनशील, लोकप्रिय और दूसरों की भावनाओं की कद्र करने वाले हैं। मोरारजी देसाई ये जानते हैं कि जीवन की कठिनाइयाँ ही जीवन का पाठ हैं, जो कि मोरारजी देसाई को पूर्णता प्राप्ति के लिये सीखने पड़ेंगे और यही मोरारजी देसाई के सुख का प्रमुख कारण भी है।मोरारजी देसाई अपने अंदर गूढ़ रहस्य समाए हुए रहते हैं। इसी वजह से सामान्य विषयों से इतर मोरारजी देसाई की पकड़ कुछ ऐसे विषयों पर होगी जो हर किसी के बस की बात नहीं होगी। दूसरी ओर सामान्य शिक्षा की बात करें तो मोरारजी देसाई को उसमें चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। अत्यधिक मेहनत और लगन के साथ प्रयास करने पर ही शिक्षा में सफलता मिल सकती है। मोरारजी देसाई को नियमित रूप से अपनी विद्या के प्रति जागरूक रहना होगा और अभ्यास करना होगा ताकि मोरारजी देसाई विषयों को समझकर उन्हें अपने अंदर समाहित कर सकें। अक्सर मोरारजी देसाई बुरी संगति के शिकार हो जाते हैं। मोरारजी देसाई को इस ओर विशेष रुप से ध्यान देना चाहिए क्योंकि बुरी संगति के कारण मोरारजी देसाई की शिक्षा पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा और ऐसी संभावना है कि मोरारजी देसाई की शिक्षा में रुकावट आए। कई बार स्थितियां मोरारजी देसाई के विपरीत होंगी और मोरारजी देसाई को शिक्षा से विमुख कर सकती हैं, इसलिए मोरारजी देसाई को अपनी शिक्षा के मामले में गंभीरता से विचार करते हुए उस पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
मोरारजी देसाई इस बात का अत्यन्त ध्यान रखते हैं कि अन्य लोग मोरारजी देसाई की बौद्धिक क्षमता का सम्मान किस तरह करते हैं और मोरारजी देसाई सम्मान पाने की दिशा में ही प्रयास करते हैं।