प्रसंत परमेस्वरन
May 30, 1985
12:0:0
Cherthala
76 E 19
9 N 40
5.5
Unknown
अप्रामाणिक स्रोत (अ.स्रो.)
प्रसंत परमेश्वर एक व्यावहारिक और क्षमतावान व्यक्ति हैं, प्रसंत परमेश्वर की योग्यता पर कोई भी प्रश्नचिह्न नहीं लगा सकता। प्रसंत परमेश्वर अनुशासित हैं और व्यवस्था को पसन्द करते हैं। ये गुण प्रसंत परमेश्वर में पर्याप्त विकसित हैं और छोटी से छोटी बातों पर आवश्यकता से अधिक ध्यान देने के कारण प्रसंत परमेश्वर जीवन की बृहत उपलब्धियों को प्राप्त नहीं कर पाते।प्रसंत परमेश्वर संवेदनशील और सहृदय हैं। यदि प्रसंत परमेश्वर को पता लगे कि प्रसंत परमेश्वर का कोई निकट व्यक्ति अत्यन्त पीड़ा व दुःख में है, तो प्रसंत परमेश्वर तुरन्त उसकी सहायता हेतु पहुँच जाते हैं।प्रसंत परमेश्वर के अन्दर हिचकिचाहट है। यद्यपि प्रसंत परमेश्वर के भीतर संसार में अपना मार्ग बनाने की क्षमता है। प्रसंत परमेश्वर के अन्दर इतनी ऊर्जा है कि प्रसंत परमेश्वर सफलता की किसी भी सीड़ी पर चढ़ सकें। किन्तु प्रसंत परमेश्वर अपनी हिचकिचाहट के कारण अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाते, जबकि अन्य कम क्षमतावान लोग वहां तक पहुंच जाते हैं। अतः प्रसंत परमेश्वर को अपनी काल्पनिक सीमाओं के बारे में सोचना नहीं चाहिए। प्रसंत परमेश्वर को यह मानकर चलना चाहिए कि प्रसंत परमेश्वर को सफलता मिलेगी हीे मिलेगी।प्रसंत परमेश्वर वास्तविक तथा व्यावहारिक सोच रखते हैं। प्रसंत परमेश्वर सदैव कुछ न कुछ प्राप्त करना चाहते हैं। प्रसंत परमेश्वर के अन्तःकरण में कुछ पाने की इच्छा सदैव दीप्तिमान रहती है। यह प्रसंत परमेश्वर को कभी-कभी व्यग्र बना देता है। लेकिन प्रसंत परमेश्वर को अपनी उपलब्धियों पर सदैव हीे गर्व रहता है।
प्रसंत परमेश्वर को प्रायः निराशा का सामना करना पडता है और प्रसंत परमेश्वर को अधिक की उम्मीद रहती है। प्रसंत परमेश्वर के इतने परेशान रहने के कारण प्रसंत परमेश्वर को जिन बातों का डर लगता है वह प्रायः घटित हो जाती हैं। प्रसंत परमेश्वर बहुत शर्मीले हैं, और स्वयं की अनुभूति एवं भावनाओं को व्यक्त करने में प्रसंत परमेश्वर परेशानी महसूस करते हैं। यदि प्रसंत परमेश्वर अपनी सारी सांसारिक समस्याओं को भूलकर प्रतिदिन कुछ क्षण ध्यान मुद्रा में बैठेंगे, तो पायेंगे कि दुनिया उतनी बुरी नहीं है जितनी प्रतीत होती है।प्रसंत परमेश्वर एक ही स्थान पर टिककर रहने वालों में से नहीं होंगे और इसी वजह से अधिक समय तक अध्ययन करना प्रसंत परमेश्वर को रास नहीं आएगा। इसका प्रभाव प्रसंत परमेश्वर की शिक्षा पर पड़ सकता है और उसके कारण प्रसंत परमेश्वर की शिक्षा में कुछ रुकावटें आ सकती है। अपने आलस्य पर विजय प्राप्त करने के बाद ही प्रसंत परमेश्वर शिक्षा के क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। प्रसंत परमेश्वर के अंदर अज्ञात को जानने की तीव्र उत्कंठा है और प्रसंत परमेश्वर की कल्पनाशीलता प्रसंत परमेश्वर को अपने विषयों में काफी हद तक सफलता दिलाएगी। इसका दूसरा पक्ष यह है कि प्रसंत परमेश्वर को अपनी एकाग्रता को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए ताकि जब प्रसंत परमेश्वर अध्ययन करने बैठें तो प्रसंत परमेश्वर को किसी तरह की समस्या का सामना ना करना पड़े और प्रसंत परमेश्वर की स्मरण शक्ति भी प्रसंत परमेश्वर की मदद करे। यदि प्रसंत परमेश्वर मन लगाकर मेहनत करेंगे और अपनी शिक्षा के प्रति आशान्वित रहेंगे तो कितने भी व्यवधान आएं, प्रसंत परमेश्वर अपने क्षेत्र में सफल होकर ही रहेंगे।
प्रसंत परमेश्वर को ऐसा लगता है कि जब प्रसंत परमेश्वर के पास धन और भौतिक ऐश्वर्य होगा तभी लोग प्रसंत परमेश्वर का सम्मान करेंगे। किन्तु यह सत्य नहीं है, अतः प्रसंत परमेश्वर वही कार्य करें जो प्रसंत परमेश्वर करना चाहते हैं।