पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे
Nov 8, 1919
14:30:00
Mumbai
72 E 50
18 N 58
5.5
Kundli Sangraha (Tendulkar)
सटीक (स.)
पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे के कुछ हद तक दार्शनिक चरित्र के हैं। पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे एक विशाल हृदय वाले व्यक्ति हैं हालांकि थोड़े से मुंहफट भी हैं। पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे काफी हद तक आत्मसम्मान के प्रति सचेत हैं और जो लोग पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे के इस चारित्रिक गुण को समझते हैं, वे पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे के अच्छे मित्र होते हैं।पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे उच्च आदर्श रखते हैं, जिन्हें प्रायः वास्तविकता के धरातल पर नहीं उतारा जा सकता। परन्तु जब पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे इसमें विफल होकर निराश हो जाते हैं तो पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे इसी कारण अत्यन्त हीे व्यग्र हो जाते हैं, इसलिये पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे समय से पूर्व ही कार्य के प्रति उदासीन हो जाते हैं। परिणामस्वरूप, पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे जीवन में न तो सफलता और न ही प्रसन्नता, आराम की प्राप्ति कर पाते हैं, जो कि पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे के गुणों को देखते हुए प्राप्त होनी चाहिए।पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे जनता के समक्ष अपने पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे को अभिव्यक्त करना जानते हैं और भगवान ने पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे को प्रसन्नमुखी होने का वरदान दिया है। हंसमुख होने के कारण पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे के अनेक मित्र हैं और पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे उनका समय-समय पर मनोरंजन करते रहते हैं। पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे के ऊपर पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे के दोस्तों का प्रभाव देखा जा सकता है, लेकिन यह नितान्त आवश्यक है कि पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे बुद्धिमत्तापूर्ण अपने मित्रों को चुनें।पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे की विफलता का सबसे बड़ा कारण यह है कि पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे बहुआयामी हैं, जिस कारणवश पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे की शक्ति बहुत सी दिशाओं मेें विभक्त हो जाती है। कृपया एक ही दिशा में विचारपूर्वक कार्य करें, जिससे पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे को अत्यन्त प्रसन्नता और लाभ प्राप्त होगा।
पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे को प्रायः निराशा का सामना करना पडता है और पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे को अधिक की उम्मीद रहती है। पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे के इतने परेशान रहने के कारण पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे को जिन बातों का डर लगता है वह प्रायः घटित हो जाती हैं। पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे बहुत शर्मीले हैं, और स्वयं की अनुभूति एवं भावनाओं को व्यक्त करने में पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे परेशानी महसूस करते हैं। यदि पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे अपनी सारी सांसारिक समस्याओं को भूलकर प्रतिदिन कुछ क्षण ध्यान मुद्रा में बैठेंगे, तो पायेंगे कि दुनिया उतनी बुरी नहीं है जितनी प्रतीत होती है।पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे एक ही स्थान पर टिककर रहने वालों में से नहीं होंगे और इसी वजह से अधिक समय तक अध्ययन करना पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे को रास नहीं आएगा। इसका प्रभाव पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे की शिक्षा पर पड़ सकता है और उसके कारण पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे की शिक्षा में कुछ रुकावटें आ सकती है। अपने आलस्य पर विजय प्राप्त करने के बाद ही पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे शिक्षा के क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे के अंदर अज्ञात को जानने की तीव्र उत्कंठा है और पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे की कल्पनाशीलता पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे को अपने विषयों में काफी हद तक सफलता दिलाएगी। इसका दूसरा पक्ष यह है कि पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे को अपनी एकाग्रता को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए ताकि जब पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे अध्ययन करने बैठें तो पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे को किसी तरह की समस्या का सामना ना करना पड़े और पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे की स्मरण शक्ति भी पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे की मदद करे। यदि पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे मन लगाकर मेहनत करेंगे और अपनी शिक्षा के प्रति आशान्वित रहेंगे तो कितने भी व्यवधान आएं, पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे अपने क्षेत्र में सफल होकर ही रहेंगे।
पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे इस बात का अत्यन्त ध्यान रखते हैं कि अन्य लोग पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे की बौद्धिक क्षमता का सम्मान किस तरह करते हैं और पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे सम्मान पाने की दिशा में ही प्रयास करते हैं।