राजा मेनुरी वेंकट गुरुसुदात्त
Mar 1, 1990
12:0:0
Hyderabad
78 E 26
17 N 22
5.5
Unknown
अप्रामाणिक स्रोत (अ.स्रो.)
राजा मेनुरी वेंकट गुरुसाईदत्त एक व्यावहारिक और क्षमतावान व्यक्ति हैं, राजा मेनुरी वेंकट गुरुसाईदत्त की योग्यता पर कोई भी प्रश्नचिह्न नहीं लगा सकता। राजा मेनुरी वेंकट गुरुसाईदत्त अनुशासित हैं और व्यवस्था को पसन्द करते हैं। ये गुण राजा मेनुरी वेंकट गुरुसाईदत्त में पर्याप्त विकसित हैं और छोटी से छोटी बातों पर आवश्यकता से अधिक ध्यान देने के कारण राजा मेनुरी वेंकट गुरुसाईदत्त जीवन की बृहत उपलब्धियों को प्राप्त नहीं कर पाते।राजा मेनुरी वेंकट गुरुसाईदत्त संवेदनशील और सहृदय हैं। यदि राजा मेनुरी वेंकट गुरुसाईदत्त को पता लगे कि राजा मेनुरी वेंकट गुरुसाईदत्त का कोई निकट व्यक्ति अत्यन्त पीड़ा व दुःख में है, तो राजा मेनुरी वेंकट गुरुसाईदत्त तुरन्त उसकी सहायता हेतु पहुँच जाते हैं।राजा मेनुरी वेंकट गुरुसाईदत्त के अन्दर हिचकिचाहट है। यद्यपि राजा मेनुरी वेंकट गुरुसाईदत्त के भीतर संसार में अपना मार्ग बनाने की क्षमता है। राजा मेनुरी वेंकट गुरुसाईदत्त के अन्दर इतनी ऊर्जा है कि राजा मेनुरी वेंकट गुरुसाईदत्त सफलता की किसी भी सीड़ी पर चढ़ सकें। किन्तु राजा मेनुरी वेंकट गुरुसाईदत्त अपनी हिचकिचाहट के कारण अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाते, जबकि अन्य कम क्षमतावान लोग वहां तक पहुंच जाते हैं। अतः राजा मेनुरी वेंकट गुरुसाईदत्त को अपनी काल्पनिक सीमाओं के बारे में सोचना नहीं चाहिए। राजा मेनुरी वेंकट गुरुसाईदत्त को यह मानकर चलना चाहिए कि राजा मेनुरी वेंकट गुरुसाईदत्त को सफलता मिलेगी हीे मिलेगी।राजा मेनुरी वेंकट गुरुसाईदत्त वास्तविक तथा व्यावहारिक सोच रखते हैं। राजा मेनुरी वेंकट गुरुसाईदत्त सदैव कुछ न कुछ प्राप्त करना चाहते हैं। राजा मेनुरी वेंकट गुरुसाईदत्त के अन्तःकरण में कुछ पाने की इच्छा सदैव दीप्तिमान रहती है। यह राजा मेनुरी वेंकट गुरुसाईदत्त को कभी-कभी व्यग्र बना देता है। लेकिन राजा मेनुरी वेंकट गुरुसाईदत्त को अपनी उपलब्धियों पर सदैव हीे गर्व रहता है।
राजा मेनुरी वेंकट गुरुसाईदत्त को प्रायः निराशा का सामना करना पडता है और राजा मेनुरी वेंकट गुरुसाईदत्त को अधिक की उम्मीद रहती है। राजा मेनुरी वेंकट गुरुसाईदत्त के इतने परेशान रहने के कारण राजा मेनुरी वेंकट गुरुसाईदत्त को जिन बातों का डर लगता है वह प्रायः घटित हो जाती हैं। राजा मेनुरी वेंकट गुरुसाईदत्त बहुत शर्मीले हैं, और स्वयं की अनुभूति एवं भावनाओं को व्यक्त करने में राजा मेनुरी वेंकट गुरुसाईदत्त परेशानी महसूस करते हैं। यदि राजा मेनुरी वेंकट गुरुसाईदत्त अपनी सारी सांसारिक समस्याओं को भूलकर प्रतिदिन कुछ क्षण ध्यान मुद्रा में बैठेंगे, तो पायेंगे कि दुनिया उतनी बुरी नहीं है जितनी प्रतीत होती है।राजा मेनुरी वेंकट गुरुसाईदत्त एक ही स्थान पर टिककर रहने वालों में से नहीं होंगे और इसी वजह से अधिक समय तक अध्ययन करना राजा मेनुरी वेंकट गुरुसाईदत्त को रास नहीं आएगा। इसका प्रभाव राजा मेनुरी वेंकट गुरुसाईदत्त की शिक्षा पर पड़ सकता है और उसके कारण राजा मेनुरी वेंकट गुरुसाईदत्त की शिक्षा में कुछ रुकावटें आ सकती है। अपने आलस्य पर विजय प्राप्त करने के बाद ही राजा मेनुरी वेंकट गुरुसाईदत्त शिक्षा के क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। राजा मेनुरी वेंकट गुरुसाईदत्त के अंदर अज्ञात को जानने की तीव्र उत्कंठा है और राजा मेनुरी वेंकट गुरुसाईदत्त की कल्पनाशीलता राजा मेनुरी वेंकट गुरुसाईदत्त को अपने विषयों में काफी हद तक सफलता दिलाएगी। इसका दूसरा पक्ष यह है कि राजा मेनुरी वेंकट गुरुसाईदत्त को अपनी एकाग्रता को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए ताकि जब राजा मेनुरी वेंकट गुरुसाईदत्त अध्ययन करने बैठें तो राजा मेनुरी वेंकट गुरुसाईदत्त को किसी तरह की समस्या का सामना ना करना पड़े और राजा मेनुरी वेंकट गुरुसाईदत्त की स्मरण शक्ति भी राजा मेनुरी वेंकट गुरुसाईदत्त की मदद करे। यदि राजा मेनुरी वेंकट गुरुसाईदत्त मन लगाकर मेहनत करेंगे और अपनी शिक्षा के प्रति आशान्वित रहेंगे तो कितने भी व्यवधान आएं, राजा मेनुरी वेंकट गुरुसाईदत्त अपने क्षेत्र में सफल होकर ही रहेंगे।
राजा मेनुरी वेंकट गुरुसाईदत्त दूसरों की प्रशंसा करने में प्रायः कंजूसी करते हैं, जिस कारण राजा मेनुरी वेंकट गुरुसाईदत्त विरोध के पात्र बन जाते हैं। राजा मेनुरी वेंकट गुरुसाईदत्त के मन जो कुछ भी हो उसे आज से ही कहना आरम्भ करें। परिणामस्वरूप राजा मेनुरी वेंकट गुरुसाईदत्त लोगों से बेहतर सम्बन्ध पायेंगे।