सोमनाथ चटर्जी
Jul 25, 1929
12:00:0
Tezpur
92 E 49
26 N 38
5.5
Unknown
अप्रामाणिक स्रोत (अ.स्रो.)
सोमनाथ चटर्जी एक व्यावहारिक और क्षमतावान व्यक्ति हैं, सोमनाथ चटर्जी की योग्यता पर कोई भी प्रश्नचिह्न नहीं लगा सकता। सोमनाथ चटर्जी अनुशासित हैं और व्यवस्था को पसन्द करते हैं। ये गुण सोमनाथ चटर्जी में पर्याप्त विकसित हैं और छोटी से छोटी बातों पर आवश्यकता से अधिक ध्यान देने के कारण सोमनाथ चटर्जी जीवन की बृहत उपलब्धियों को प्राप्त नहीं कर पाते।सोमनाथ चटर्जी संवेदनशील और सहृदय हैं। यदि सोमनाथ चटर्जी को पता लगे कि सोमनाथ चटर्जी का कोई निकट व्यक्ति अत्यन्त पीड़ा व दुःख में है, तो सोमनाथ चटर्जी तुरन्त उसकी सहायता हेतु पहुँच जाते हैं।सोमनाथ चटर्जी के अन्दर हिचकिचाहट है। यद्यपि सोमनाथ चटर्जी के भीतर संसार में अपना मार्ग बनाने की क्षमता है। सोमनाथ चटर्जी के अन्दर इतनी ऊर्जा है कि सोमनाथ चटर्जी सफलता की किसी भी सीड़ी पर चढ़ सकें। किन्तु सोमनाथ चटर्जी अपनी हिचकिचाहट के कारण अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाते, जबकि अन्य कम क्षमतावान लोग वहां तक पहुंच जाते हैं। अतः सोमनाथ चटर्जी को अपनी काल्पनिक सीमाओं के बारे में सोचना नहीं चाहिए। सोमनाथ चटर्जी को यह मानकर चलना चाहिए कि सोमनाथ चटर्जी को सफलता मिलेगी हीे मिलेगी।सोमनाथ चटर्जी वास्तविक तथा व्यावहारिक सोच रखते हैं। सोमनाथ चटर्जी सदैव कुछ न कुछ प्राप्त करना चाहते हैं। सोमनाथ चटर्जी के अन्तःकरण में कुछ पाने की इच्छा सदैव दीप्तिमान रहती है। यह सोमनाथ चटर्जी को कभी-कभी व्यग्र बना देता है। लेकिन सोमनाथ चटर्जी को अपनी उपलब्धियों पर सदैव हीे गर्व रहता है।
सोमनाथ चटर्जी को प्रायः निराशा का सामना करना पडता है और सोमनाथ चटर्जी को अधिक की उम्मीद रहती है। सोमनाथ चटर्जी के इतने परेशान रहने के कारण सोमनाथ चटर्जी को जिन बातों का डर लगता है वह प्रायः घटित हो जाती हैं। सोमनाथ चटर्जी बहुत शर्मीले हैं, और स्वयं की अनुभूति एवं भावनाओं को व्यक्त करने में सोमनाथ चटर्जी परेशानी महसूस करते हैं। यदि सोमनाथ चटर्जी अपनी सारी सांसारिक समस्याओं को भूलकर प्रतिदिन कुछ क्षण ध्यान मुद्रा में बैठेंगे, तो पायेंगे कि दुनिया उतनी बुरी नहीं है जितनी प्रतीत होती है।सोमनाथ चटर्जी एक ही स्थान पर टिककर रहने वालों में से नहीं होंगे और इसी वजह से अधिक समय तक अध्ययन करना सोमनाथ चटर्जी को रास नहीं आएगा। इसका प्रभाव सोमनाथ चटर्जी की शिक्षा पर पड़ सकता है और उसके कारण सोमनाथ चटर्जी की शिक्षा में कुछ रुकावटें आ सकती है। अपने आलस्य पर विजय प्राप्त करने के बाद ही सोमनाथ चटर्जी शिक्षा के क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। सोमनाथ चटर्जी के अंदर अज्ञात को जानने की तीव्र उत्कंठा है और सोमनाथ चटर्जी की कल्पनाशीलता सोमनाथ चटर्जी को अपने विषयों में काफी हद तक सफलता दिलाएगी। इसका दूसरा पक्ष यह है कि सोमनाथ चटर्जी को अपनी एकाग्रता को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए ताकि जब सोमनाथ चटर्जी अध्ययन करने बैठें तो सोमनाथ चटर्जी को किसी तरह की समस्या का सामना ना करना पड़े और सोमनाथ चटर्जी की स्मरण शक्ति भी सोमनाथ चटर्जी की मदद करे। यदि सोमनाथ चटर्जी मन लगाकर मेहनत करेंगे और अपनी शिक्षा के प्रति आशान्वित रहेंगे तो कितने भी व्यवधान आएं, सोमनाथ चटर्जी अपने क्षेत्र में सफल होकर ही रहेंगे।
बच्चे सोमनाथ चटर्जी को अपने लक्ष्य निर्धारित करने और उन्हें प्राप्त करने में अत्यधिक प्रेरणा देते हैं। सोमनाथ चटर्जी को उनके प्रति कर्तव्य का अनुभव करना चाहिए। इस प्रेरणा का सोमनाथ चटर्जी को पूर्णतः प्रयोग करना चाहिए, लेकिन ये ध्यान रखें कि सोमनाथ चटर्जी वही कर रहे हैं जो सोमनाथ चटर्जी करना चाहते हैं तथा सिर्फ उन्हें अपने कर्तव्यों के कारण ही नहीं कर रहे हैं।