सुब्रमण्यम स्वामी
Sep 15, 1939
5:00:00
Madras
80 E 18
13 N 5
5.5
Lagna Phal (Garg)
संदर्भ (स.)
सुब्रमण्यम स्वामी एक ऊर्जावान व्यक्ति हैं और तब तक संतुष्ट नहीं होते जब तक क्रियाशील न हों। सुब्रमण्यम स्वामी मानसिक एवं शारीरिक रूप से शक्तिशाली एवं काम के लिये उत्साह से भरपूर हैं। सुब्रमण्यम स्वामी के अन्दर असीम साहस है एवं यह सभी गुण सुब्रमण्यम स्वामी के जीवन को बहुआयामी बनाते हैं। सुब्रमण्यम स्वामी एक जगह ही सिर्फ इसलिये ही नहीं रुक सकते क्योंकि सुब्रमण्यम स्वामी ने उस दिशा में कार्य प्रारम्भ किया था। अगर सुब्रमण्यम स्वामी को सही लगता है तो सुब्रमण्यम स्वामी अपना काम, मित्र, रुचियां या कुछ भी बदलने मे नहीं हिचकिचाते। दुर्भाग्यवश सुब्रमण्यम स्वामी परिवर्तन के सभी पहलुओ का अध्ययन नहीं कर पाते और यह जल्दबाजी सुब्रमण्यम स्वामी को प्रायः मुसीबत में डालती है। फिर भी सुब्रमण्यम स्वामी के अन्दर साहस है, सुब्रमण्यम स्वामी जन्मजात रूप से मुसीबतों से लड़ने वाले हैं। यह सब मिलाकर सुब्रमण्यम स्वामी को अन्त में सफलता दिलाते हैं।ऐसा प्रतीत नहीं होता कि जीवन में सुब्रमण्यम स्वामी को असीम धन की प्राप्ति होगी परन्तु धन केवल तभी उपयोगी होता है जब वह सुब्रमण्यम स्वामी को सुख दिला सके और उस सुख से सुब्रमण्यम स्वामी जीवन का सम्पूर्ण आनन्द ले सकें।यह मानने के अनेक कारण हैं कि सुब्रमण्यम स्वामी जगह-जगह की सैर करेंगे और सम्भवतः अत्यधिक विश्व भ्रमण करेंगे। सुब्रमण्यम स्वामी को देश के विभिन्न हिस्सों में पद प्राप्त होंगे। सुब्रमण्यम स्वामी को अपने व्यवसाय के कारण भ्रमण अधिक करना पड़ेगा।हमारी सलाह है कि सुब्रमण्यम स्वामी को अपने अन्दर धैर्य विकसित करने का प्रयास करना चाहिये और सुब्रमण्यम स्वामी को किसी भी नये व्यवसाय को प्रारम्भ करने से पहले उस पर होने वाले खर्च का पूरा अध्ययन कर लेना चाहिये। यह कुछ छोटी बातें है परन्तु सुब्रमण्यम स्वामी की सफलता को खराब कर सकते हैं। साथ ही, परिवर्तन से बचें खासकर की 35 की उम्र के बाद।
सुब्रमण्यम स्वामी को ईश्वर ने अत्युत्तम व्यावहारिक ज्ञान और अपनी आवश्यकता के प्रति स्पष्ट नजरिया दिया है। सुब्रमण्यम स्वामी तार्किक एवं व्यावहारिक हैं। सुब्रमण्यम स्वामी वातावरण में खुशहाली खोजते हैं और अपने विचार-क्षितिज को व्यापक बनाने से डरते नहीं है। सुब्रमण्यम स्वामी भय को पहचानकर उसे दूर करने के रास्ते खोज लेते हैं। कृपया ध्यान रखें कि यदि सुब्रमण्यम स्वामी सिर्फ अपने बारे में सोचेंगे, तो सुब्रमण्यम स्वामी की सफलता की संभावना बहुत कम होगी।सुब्रमण्यम स्वामी एक ऐसे व्यक्तित्व के स्वामी हैं जो सबसे अलग है। सुब्रमण्यम स्वामी औरों लोगों से हटकर अपने जीवन को अलग तरीके से जीते हैं और जब बात सुब्रमण्यम स्वामी की शिक्षा की आती है तब भी सुब्रमण्यम स्वामी ऐसा ही करते हैं। सुब्रमण्यम स्वामी कई बार जल्दबाजी में भी बहुत चीजें सीखना चाहते हैं जो बाद में सुब्रमण्यम स्वामी को परेशान करती हैं। हालांकि सुब्रमण्यम स्वामी की लेखन क्षमता बेहतर हो सकती है और सुब्रमण्यम स्वामी लिखने में आनंद महसूस कर सकते हैं। सुब्रमण्यम स्वामी अपनी गलतियों से सीखना पसंद करते हैं और सहजता से किसी भी कार्य में अपना सब कुछ लगा देते हैं। अपनी इसी विशेषता को सुब्रमण्यम स्वामी को शिक्षा के क्षेत्र में भी लगाना चाहिए। कभी-कभी अपनी ही गलतियों के कारण सुब्रमण्यम स्वामी को परेशानी उठानी पड़ सकती है और इसी वजह से सुब्रमण्यम स्वामी की पढ़ाई में व्यवधान उत्पन्न हो सकते हैं। सुब्रमण्यम स्वामी को जीवन के अनुभवों से सीखने में आनंद आता है और यही बात सुब्रमण्यम स्वामी को शिक्षा के क्षेत्र में छोटी-छोटी बातों से सीखने में सफलता देती है। सुब्रमण्यम स्वामी के लिए आवश्यक है कि सुब्रमण्यम स्वामी जो कुछ भी सीखते हैं उसे एक बार पुनः दोहरायें ताकि वह सुब्रमण्यम स्वामी की स्मृतियों में अंकित हो जाए। शिक्षा के क्षेत्र में चुनौतियां का सामना करने के बाद ही सफलता प्राप्त हो सकती है।
सुब्रमण्यम स्वामी को ऐसा लगता है कि जब सुब्रमण्यम स्वामी के पास धन और भौतिक ऐश्वर्य होगा तभी लोग सुब्रमण्यम स्वामी का सम्मान करेंगे। किन्तु यह सत्य नहीं है, अतः सुब्रमण्यम स्वामी वही कार्य करें जो सुब्रमण्यम स्वामी करना चाहते हैं।