दिबांग
Nov 1, 1971
00:00:00
Lohit
93 E 38
27 N 2
5.5
Dirty Data
अप्रामाणिक स्रोत (अ.स्रो.)
दिबांग जीवन को सिर्फ अपने दृष्टिकोण से देखते हैं, दिबांग की आयु जैसे-जैसे बढ़ेगी, दिबांग को अपने सुख और दुःख बांटने के लिये एक जीवनसाथी की आवश्यकता महसूस होगी। दिबांग ‘अपने-घर‘ के सिद्धान्त को मानते हैं और विवाह को इसके क्रियान्वयन का मुख्य साधन मानते हैं। दिबांग का घर दिबांग के लिये ईश्वर-स्वरूप होगा। दिबांग सदैव अपने बच्चों की चाहत रखेंगे, क्योंकि उनके बगैर दिबांग कभी भी पूूर्णरूप से खुश नहीं रह पाएंगे। निश्चित तौर पर दिबांग प्रेम के लिये विवाह करेंगे पर जैसे-जैसे समय बीतता जाएगा, दिबांग अपने जीवनसाथी के बारे में ज्यादा से ज्यादा सोचना आरम्भ कर देंगे। और अन्त में ऐसा समय आएगा, जहां दिबांग के लिये अपने जीवनसाथी से एक या दो दिन के लिये भी अलग रहना सम्भव नहीं होगा।
दिबांग की स्वास्थ्य-संरचना बहुत अच्छी है, लेकिन दिबांग स्नायु-विकार एवं अपच से पीडि़त रह सकते हैं। पहले का कारण दिबांग की जरूरत से ज्यादा संवेदनशील प्रकृति है। दिबांग अपेक्षाकृत शीघ्रता से अपनी जीवन-ऊर्जा खो देते है और वह जीवन, दिबांग जिसका आनन्द लेते हैं, इसमें दिबांग की कोई मदद नहीं करता। अति भोग, अपच का मुख्य कारण है। अपच का मुख्य कारण अधिकता में लिया गया भोजन है। जो दिबांग खाते हैं, या तो वह बहुत भारी होता है या दिन में बहुत देरी से लिया हुआ होता है।
दिबांग के अन्दर वस्तुएं एकत्रित करने की भावना अत्यधिक विकसित हैय जैसे चीनी मिट्टी की वस्तुएं, डाक टिकट, पुराने सिक्के या कुछ भी।इससे अधिक दिबांग को पुरानी वस्तुएं फेंकने या छोड़ने में मुश्किल महसूस होगी। दिबांग को सदैव यह लगता है कि भविष्य में दिबांग को इनकी आवश्यकता पड़ेगी। दिबांग जन्मजात संग्रह के शौकीन हैं। दिबांग के ऐसे ही अन्य शौक प्रायः इन्डोर होंगे न कि आउटडोर। दिबांग के अन्दर कार्य करने का धैर्य है और यदि दिबांग के अन्दर क्षमता नहीं है,तो दिबांग उसे आसानी से अर्जित कर लेते हैं।