दोरई गुरुवायूर
Jul 2, 1935
4:45:00
Nemmara
76 E 40
10 N 39
5.5
Kundli Sangraha (Tendulkar)
सटीक (स.)
दोरई गुरुवायूर जीवन को सिर्फ अपने दृष्टिकोण से देखते हैं, दोरई गुरुवायूर की आयु जैसे-जैसे बढ़ेगी, दोरई गुरुवायूर को अपने सुख और दुःख बांटने के लिये एक जीवनसाथी की आवश्यकता महसूस होगी। दोरई गुरुवायूर ‘अपने-घर‘ के सिद्धान्त को मानते हैं और विवाह को इसके क्रियान्वयन का मुख्य साधन मानते हैं। दोरई गुरुवायूर का घर दोरई गुरुवायूर के लिये ईश्वर-स्वरूप होगा। दोरई गुरुवायूर सदैव अपने बच्चों की चाहत रखेंगे, क्योंकि उनके बगैर दोरई गुरुवायूर कभी भी पूूर्णरूप से खुश नहीं रह पाएंगे। निश्चित तौर पर दोरई गुरुवायूर प्रेम के लिये विवाह करेंगे पर जैसे-जैसे समय बीतता जाएगा, दोरई गुरुवायूर अपने जीवनसाथी के बारे में ज्यादा से ज्यादा सोचना आरम्भ कर देंगे। और अन्त में ऐसा समय आएगा, जहां दोरई गुरुवायूर के लिये अपने जीवनसाथी से एक या दो दिन के लिये भी अलग रहना सम्भव नहीं होगा।
दोरई गुरुवायूर के अन्दर प्रचुर ऊर्जा है। दोरई गुरुवायूर हृष्ट-पुष्ट हैं व साधारणतः दोरई गुरुवायूर किसी प्रकार के रोग से ग्रसित नहीं होंगे, जब तक कि दोरई गुरुवायूर जरूरत से बहुत ज्यादा कार्य नहीं करते। सिर्फ इसलिये कि दोरई गुरुवायूर मोमबत्ती को दोनों सिरों से जला सकते हैं, दोरई गुरुवायूर को यह करने के बारे में नहीं सोचना चाहिए। दोरई गुरुवायूर को अपने प्रति संयमी होना चाहिए और अपने स्वास्थ्य-कोष में से जरूरत से ज्यादा लेने का प्रयास नहीं करना चाहिए अन्यथा दोरई गुरुवायूर जीवन के उत्तरार्ध में गम्भीर बीमारियों को निमन्त्रण दे सकते हैं। बीमारी यदि प्रायः नहीं आती है, तो अचानक ही आएगी। यद्यपि उसने परिपक्व होने में काफी लम्बा समय लिया होगा। दोरई गुरुवायूर थोड़ा सा दिमाग लगाने पर पाएंगे कि दोरई गुरुवायूर ने रोग को स्वयं ही आमन्त्रित किया है। इसमें कोई शक नहीं है कि दोरई गुरुवायूर उससे बच सकते थे। दोरई गुरुवायूर के नेत्र दोरई गुरुवायूर की कमजोरी हैं और कृपया उसका ख्याल रखें। दोरई गुरुवायूर पैंतीस की उम्र के बाद नेत्र-विकार से ग्रसित हो सकते हैं।
दोरई गुरुवायूर के अन्दर वस्तुएं एकत्रित करने की भावना अत्यधिक विकसित हैय जैसे चीनी मिट्टी की वस्तुएं, डाक टिकट, पुराने सिक्के या कुछ भी।इससे अधिक दोरई गुरुवायूर को पुरानी वस्तुएं फेंकने या छोड़ने में मुश्किल महसूस होगी। दोरई गुरुवायूर को सदैव यह लगता है कि भविष्य में दोरई गुरुवायूर को इनकी आवश्यकता पड़ेगी। दोरई गुरुवायूर जन्मजात संग्रह के शौकीन हैं। दोरई गुरुवायूर के ऐसे ही अन्य शौक प्रायः इन्डोर होंगे न कि आउटडोर। दोरई गुरुवायूर के अन्दर कार्य करने का धैर्य है और यदि दोरई गुरुवायूर के अन्दर क्षमता नहीं है,तो दोरई गुरुवायूर उसे आसानी से अर्जित कर लेते हैं।