गीता दत्त
Nov 23, 1930
20:00:00
Alapur
79 E 16
27 N 57
5.5
Kundli Sangraha (Tendulkar)
सटीक (स.)
गीता दत्त प्रेम को बड़ी गम्भीरता से लेते हैं। वस्तुतः, गीता दत्त से पाने का प्रयास इस तरह करते हैं, कि गीता दत्त का प्रिय उससे भयभीत हो सकता है। एकबार प्रेम की निर्बाध धारा प्रवाहित होना प्रारम्भ हो जाए, गीता दत्त दर्शाते हैं कि गीता दत्त का लगाव गहरा व वास्तविक है। गीता दत्त एक सहानुभूतिपूर्ण जीवनसाथी हैं और जिससे गीता दत्त विवाह करेंगे, वह गीता दत्त का अखण्ड प्रेम प्राप्त करेगा। हांलाकि गीता दत्त उससे यह उम्मीद करते हैं कि वह गीता दत्त की समस्याओं को ध्यानपूर्वक सुने, परन्तु गीता दत्त के अन्दर दूसरों की बात को ध्यान से सुनने का धैर्य नहीं है।
गीता दत्त के लिये आराम की विशेष महत्ता है। परिणामस्वरूप, गीता दत्त स्वादलोलुप हैं और भोजन का पूर्ण आनन्द उठाते हैं। निश्चित तौर पर गीता दत्त जीने के लिये नहीं खाते, अपितु खाने के लिये जीते हैं। इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि पाचन-तन्त्र गीता दत्त के शरीर का ऐसा भाग है, जो गीता दत्त को सर्वाधिक परेशानी देगा। गीता दत्त को अपच जैसी बीमारियों को अनदेखा नहीं करना चाहिए और जब वे आती हैं, तो उन्हें दवाओं के द्वारा ठीक करने का प्रयत्न नहीं करना चाहिए। गीता दत्त को सैर एवं हल्का व्यायाम करना चाहिए। हमारी गीता दत्त को यह सलाह है कि गीता दत्त पर्याप्त ताजी हवा लें, भोजन पर नियन्त्रण रखें और फलों का सेवन करें। परन्तु यदि फिर भी कोई लाभ न हो, तो चिकित्सक के पास जाने से न झिझकें। पचास साल की आयु के पश्चात् आलस्य जैसे रोगों से दूर रहें। गीता दत्त की चीजों को छोड़ने की आदत के कारण गीता दत्त जिन्दगी से दूर होत जाएंगे। अपनी वस्तुओं में रूचि रखें, अपनी रुचियों का विकास करें एवं ध्यान रखें कि अगरगीता दत्त युवा-मण्डली में रहते हैं, तो गीता दत्त कभी भी उम्र का शिकार नहीं होेते।
गीता दत्त के कई शौक हैं और गीता दत्त इन शौकों से ओत-प्रोत हैं। परन्तु अचानक ही गीता दत्त धैर्य खो देते हैं व उन्हें एक तरफ कर देते हैं । फिर गीता दत्त कोई नया शौक चुन लेते हैं और उसका भी यही हश्र होता है। गीता दत्त जीवन को इसी तरह से जीते जाते हैं। सारांशतः गीता दत्त की अभिरुचियां गीता दत्त को पर्याप्त आनन्द देती हैं, साथ ही गीता दत्त को बहुत कुछ सीखने का मौका भी देती हैं।