गोपाल कृष्ण गोखले
May 09, 1866
17:15:11
Guhagar
73 E 12
17 N 28
5.5
Kundli Sangraha (Bhat)
सटीक (स.)
जहां तक गोपाल कृष्ण गोखले जैसे लोगों का प्रश्न है, आध्यात्मिक प्रेम का कोई अस्तित्व नहीं है। गोपाल कृष्ण गोखले प्रेम में अत्यधिक व्यग्र होते हैं। यदि गोपाल कृष्ण गोखले ने एकबार व्यक्त कर दिया, तो गोपाल कृष्ण गोखले अपने लगाव से विमुख नहीं होते हैं। यद्यपि, विरोधी की भूमिका में जो कोई भी हो, गोपाल कृष्ण गोखले उससे बलपूर्वक निपटते हैं।
जबकि गोपाल कृष्ण गोखले हृष्ट-पुष्ट नहीं हैं, कुछ ऐसे कारण हैं, जो गोपाल कृष्ण गोखले को अपने स्वास्थ्य के प्रति सोचने के लिये बाध्य करते हैं। गोपाल कृष्ण गोखले की मुख्य बीमारी वास्तविक के स्थान पर काल्पनिक होगी, तथापि यह गोपाल कृष्ण गोखले के लिये अनावश्यक उत्तेजना का कारण बनेगी। गोपाल कृष्ण गोखले अपने अन्दर बार-बार झांकते हैं व आश्चर्य करते हैं कि ऐसा क्यों हुआ, जबकि वास्तविकता में दुबारा भी सोचने वाली कोई बात नहीं होती है। गोपाल कृष्ण गोखले चिकित्सा सम्बन्धी पुस्तकें पढ़ते हैं और स्वतः ही खतरनाक बीमारी के लक्षण इजाद कर लेते हैं। गोपाल कृष्ण गोखले क कभी-कभी गले की समस्या से पीडि़त हो सकते हैं। चिकित्सक द्वारा बताई गईं दवाओं के अतिरिक्त अन्य प्रकार की दवाओं का सेवन न करें। हमारी गोपाल कृष्ण गोखले को सलाह है कि नैसर्गिक जीवन जिएं, पर्याप्त नींद लें, पर्याप्त व्यायाम करें तथा विचारपूर्वक भोजन करें।
गोपाल कृष्ण गोखले मानसिक रुचियों से समृद्ध हैं एवं व्यवस्थित कला गोपाल कृष्ण गोखले के लिये बहुत महत्वपूर्ण है। गोपाल कृष्ण गोखले अवकाश की योजना बनाने में अधिक आनन्द महसूस करते हैं, अपेक्षाकृत कि वास्तविक अवकाश पर जाने में। गोपाल कृष्ण गोखले पुस्तकों और अध्ययन से प्रेम करते हैं एवं संग्रहालय में घूमने का मजा उठाते हैं। गोपाल कृष्ण गोखले का पुरानी वस्तुओं की ओर विशेष झुकाव है, खासकर कि अत्यधिक प्राचीन वस्तुओं की ओर।