मणिरत्नम
Jun 2, 1956
12:0:0
Madurai
78 E 7
9 N 55
5.5
Unknown
अप्रामाणिक स्रोत (अ.स्रो.)
मणिरत्नम के अनुसार विवाह जीवन का हिस्सा है, जिसे घटित होना ही है। साधारणतः मणिरत्नम विवाह-बन्धन से अधिक मित्रता को मानते। सामान्यतः, मणिरत्नम प्रेम पत्र नहीं लिखेंगे और जितना कम रोमांस मणिरत्नम के प्रेम प्रसंग में आएगा, उतना ही अच्छा है। पर इससे ये निष्कर्ष नहीं निकालना चाहिए कि विवाह के प्रति मणिरत्नम का दृष्टिकोण सम्बन्ध-विच्छेद से प्रभावित है। इसके विपरीत यदि एक बार मणिरत्नम विवाह बन्धन में बंध गये, तो मणिरत्नम इस सम्बन्ध को सामंजस्यव मानवतापूर्ण बनाने का प्रयास करेंगे, जोकि विवाह के कई सालों बाद भी जारी रहेगा।
मणिरत्नम की स्वास्थ्य-संरचना बहुत अच्छी है, लेकिन मणिरत्नम स्नायु-विकार एवं अपच से पीडि़त रह सकते हैं। पहले का कारण मणिरत्नम की जरूरत से ज्यादा संवेदनशील प्रकृति है। मणिरत्नम अपेक्षाकृत शीघ्रता से अपनी जीवन-ऊर्जा खो देते है और वह जीवन, मणिरत्नम जिसका आनन्द लेते हैं, इसमें मणिरत्नम की कोई मदद नहीं करता। अति भोग, अपच का मुख्य कारण है। अपच का मुख्य कारण अधिकता में लिया गया भोजन है। जो मणिरत्नम खाते हैं, या तो वह बहुत भारी होता है या दिन में बहुत देरी से लिया हुआ होता है।
मणिरत्नम के कई शौक हैं और मणिरत्नम इन शौकों से ओत-प्रोत हैं। परन्तु अचानक ही मणिरत्नम धैर्य खो देते हैं व उन्हें एक तरफ कर देते हैं । फिर मणिरत्नम कोई नया शौक चुन लेते हैं और उसका भी यही हश्र होता है। मणिरत्नम जीवन को इसी तरह से जीते जाते हैं। सारांशतः मणिरत्नम की अभिरुचियां मणिरत्नम को पर्याप्त आनन्द देती हैं, साथ ही मणिरत्नम को बहुत कुछ सीखने का मौका भी देती हैं।