पार्वती
Apr 23, 1988
12:0:0
Kozhikonde
75 E 46
11 N 15
5.5
Unknown
अप्रामाणिक स्रोत (अ.स्रो.)
पार्वती के अनुसार विवाह जीवन का हिस्सा है, जिसे घटित होना ही है। साधारणतः पार्वती विवाह-बन्धन से अधिक मित्रता को मानते। सामान्यतः, पार्वती प्रेम पत्र नहीं लिखेंगे और जितना कम रोमांस पार्वती के प्रेम प्रसंग में आएगा, उतना ही अच्छा है। पर इससे ये निष्कर्ष नहीं निकालना चाहिए कि विवाह के प्रति पार्वती का दृष्टिकोण सम्बन्ध-विच्छेद से प्रभावित है। इसके विपरीत यदि एक बार पार्वती विवाह बन्धन में बंध गये, तो पार्वती इस सम्बन्ध को सामंजस्यव मानवतापूर्ण बनाने का प्रयास करेंगे, जोकि विवाह के कई सालों बाद भी जारी रहेगा।
पार्वती की स्वास्थ्य-संरचना बहुत अच्छी है, लेकिन पार्वती स्नायु-विकार एवं अपच से पीडि़त रह सकते हैं। पहले का कारण पार्वती की जरूरत से ज्यादा संवेदनशील प्रकृति है। पार्वती अपेक्षाकृत शीघ्रता से अपनी जीवन-ऊर्जा खो देते है और वह जीवन, पार्वती जिसका आनन्द लेते हैं, इसमें पार्वती की कोई मदद नहीं करता। अति भोग, अपच का मुख्य कारण है। अपच का मुख्य कारण अधिकता में लिया गया भोजन है। जो पार्वती खाते हैं, या तो वह बहुत भारी होता है या दिन में बहुत देरी से लिया हुआ होता है।
पार्वती मानसिक रुचियों से समृद्ध हैं एवं व्यवस्थित कला पार्वती के लिये बहुत महत्वपूर्ण है। पार्वती अवकाश की योजना बनाने में अधिक आनन्द महसूस करते हैं, अपेक्षाकृत कि वास्तविक अवकाश पर जाने में। पार्वती पुस्तकों और अध्ययन से प्रेम करते हैं एवं संग्रहालय में घूमने का मजा उठाते हैं। पार्वती का पुरानी वस्तुओं की ओर विशेष झुकाव है, खासकर कि अत्यधिक प्राचीन वस्तुओं की ओर।