सतीश कौशिक
Apr 13, 1956
12:0:0
Mahendragarh
76 E 14
28 N 17
5.5
Unknown
अप्रामाणिक स्रोत (अ.स्रो.)
सतीश कौशिक के अनुसार विवाह जीवन का हिस्सा है, जिसे घटित होना ही है। साधारणतः सतीश कौशिक विवाह-बन्धन से अधिक मित्रता को मानते। सामान्यतः, सतीश कौशिक प्रेम पत्र नहीं लिखेंगे और जितना कम रोमांस सतीश कौशिक के प्रेम प्रसंग में आएगा, उतना ही अच्छा है। पर इससे ये निष्कर्ष नहीं निकालना चाहिए कि विवाह के प्रति सतीश कौशिक का दृष्टिकोण सम्बन्ध-विच्छेद से प्रभावित है। इसके विपरीत यदि एक बार सतीश कौशिक विवाह बन्धन में बंध गये, तो सतीश कौशिक इस सम्बन्ध को सामंजस्यव मानवतापूर्ण बनाने का प्रयास करेंगे, जोकि विवाह के कई सालों बाद भी जारी रहेगा।
सतीश कौशिक की स्वास्थ्य-संरचना बहुत अच्छी है, लेकिन सतीश कौशिक स्नायु-विकार एवं अपच से पीडि़त रह सकते हैं। पहले का कारण सतीश कौशिक की जरूरत से ज्यादा संवेदनशील प्रकृति है। सतीश कौशिक अपेक्षाकृत शीघ्रता से अपनी जीवन-ऊर्जा खो देते है और वह जीवन, सतीश कौशिक जिसका आनन्द लेते हैं, इसमें सतीश कौशिक की कोई मदद नहीं करता। अति भोग, अपच का मुख्य कारण है। अपच का मुख्य कारण अधिकता में लिया गया भोजन है। जो सतीश कौशिक खाते हैं, या तो वह बहुत भारी होता है या दिन में बहुत देरी से लिया हुआ होता है।
सतीश कौशिक के अन्दर वस्तुएं एकत्रित करने की भावना अत्यधिक विकसित हैय जैसे चीनी मिट्टी की वस्तुएं, डाक टिकट, पुराने सिक्के या कुछ भी।इससे अधिक सतीश कौशिक को पुरानी वस्तुएं फेंकने या छोड़ने में मुश्किल महसूस होगी। सतीश कौशिक को सदैव यह लगता है कि भविष्य में सतीश कौशिक को इनकी आवश्यकता पड़ेगी। सतीश कौशिक जन्मजात संग्रह के शौकीन हैं। सतीश कौशिक के ऐसे ही अन्य शौक प्रायः इन्डोर होंगे न कि आउटडोर। सतीश कौशिक के अन्दर कार्य करने का धैर्य है और यदि सतीश कौशिक के अन्दर क्षमता नहीं है,तो सतीश कौशिक उसे आसानी से अर्जित कर लेते हैं।