साईं घोष
Sep 16, 1992
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Nadia
88 E 56
23 N 24
5.5
Dirty Data
अप्रामाणिक स्रोत (अ.स्रो.)
साईं घोष जीवन को सिर्फ अपने दृष्टिकोण से देखते हैं, साईं घोष की आयु जैसे-जैसे बढ़ेगी, साईं घोष को अपने सुख और दुःख बांटने के लिये एक जीवनसाथी की आवश्यकता महसूस होगी। साईं घोष ‘अपने-घर‘ के सिद्धान्त को मानते हैं और विवाह को इसके क्रियान्वयन का मुख्य साधन मानते हैं। साईं घोष का घर साईं घोष के लिये ईश्वर-स्वरूप होगा। साईं घोष सदैव अपने बच्चों की चाहत रखेंगे, क्योंकि उनके बगैर साईं घोष कभी भी पूूर्णरूप से खुश नहीं रह पाएंगे। निश्चित तौर पर साईं घोष प्रेम के लिये विवाह करेंगे पर जैसे-जैसे समय बीतता जाएगा, साईं घोष अपने जीवनसाथी के बारे में ज्यादा से ज्यादा सोचना आरम्भ कर देंगे। और अन्त में ऐसा समय आएगा, जहां साईं घोष के लिये अपने जीवनसाथी से एक या दो दिन के लिये भी अलग रहना सम्भव नहीं होगा।
साईं घोष को स्वास्थ्य के प्रति चिन्तित रहने की कोई आवश्यकता नहीं है, परन्तु इसकी अनदेखी भी नहीं करनी चाहिए। साईं घोष को सर्दी एवं गर्मी से खतरा है, खासकर गर्मी से। दोनों ही साईं घोष के लिये ठीक नहीं हैं। साईं घोष सूर्य से बचें, विशेषतः यदि साईं घोष को किसी ठण्डेे प्रदेश में भ्रमण करना पड़े। ऐसे किसी भी कारण से दूर रहें, जिसके कारण साईं घोष के शरीर का तापमान बढ़ सकता हो। जीवन के उत्तर काल में साईं घोष को एपोप्लेक्सी से बचकर रहना चाहिए। यह साईं घोष के लिये अत्यन्त आवश्यक है कि साईं घोष समय पर सोएं और देर रात तक न जागें। क्योंकि काम के समय साईं घोष अत्यधिक ऊर्जावान और सदैव गतिशील होते हैं, जिसके कारण साईं घोष की दैनिक ऊर्जा का शीघ्र हृास होता है। सिर्फ पर्याप्त निद्रा के द्वारा ही साईं घोष अपनी इस ऊर्जा को पुनः प्राप्त कर सकते हैं।
साईं घोष को अपने मिजाज के अनुरूप ही अपने फुरसत के लम्हों को बिताना चाहिए। यह देखते हुए कि साईं घोष आराम पसन्द हैं, साईं घोष श्रम व थकावट भरे खेलों को पसन्द नहीं करते हैं। साईं घोष दूसरों की संगति पसन्द करते हैं और जीवन के उज्ज्वल भाग को देखते हैं। ताश खेलना साईं घोष को पसन्द है, लेकिन सिर्फ तभी जब उसमें पैसा जुड़ा हुआ हो। यहां पर साईं घोष को जुए के प्रति सावधान करने की आवश्यकता है। यदि साईं घोष ने एक बार इसे अनुमति दी, तो यह साईं घोष पर नियन्त्रण कर सकता है।