शंकर घाणेकर
Feb 12, 1926
4:0:0
Sangameswar
73 E 35
17 N 13
5.5
Kundli Sangraha (Tendulkar)
सटीक (स.)
शंकर घाणेकर मैत्रीपूर्ण स्वभाव के हैं और अपनी मित्र मण्डली को खुशहाली के तौर पर देखते हैं। इन्हीं मित्रों में से एक ऐसा होगा, जो शंकर घाणेकर के लिये सब कुछ होगा और यही वह होगा जिससे शंकर घाणेकर विवाह करेंगे। शंकर घाणेकर का स्वभाव सहानुभूतिपूर्ण है। साथ ही साथ यह कहने के अनेक कारण हैं कि शंकर घाणेकर का वैवाहिक जीवन सुखद होगा। शंकर घाणेकर ऐसे व्यक्ति हैं, जोकि अपने घर व उसमें उपस्थित वस्तुओं के बारे में अत्यधिक सोचते हैं और शंकर घाणेकर इसे आरामदायक एवं स्वच्छ होने की उम्मीद करते हैं। घर में अव्यस्तता शंकर घाणेकर को बिल्कुल नहीं भाती है। शंकर घाणेकर के बच्चे शंकर घाणेकर के लिये बहुत कुछ हैं। शंकर घाणेकर उनके लिये कार्य करेंगे और शंकर घाणेकर उन्हें बेहतरीन शिक्षा तथा आनन्द देने का प्रयास करेेंगे, जो कि अन्त में बेकार नहीं जाएगा।
शंकर घाणेकर को स्वास्थ्य के प्रति चिन्तित रहने की कोई आवश्यकता नहीं है, परन्तु इसकी अनदेखी भी नहीं करनी चाहिए। शंकर घाणेकर को सर्दी एवं गर्मी से खतरा है, खासकर गर्मी से। दोनों ही शंकर घाणेकर के लिये ठीक नहीं हैं। शंकर घाणेकर सूर्य से बचें, विशेषतः यदि शंकर घाणेकर को किसी ठण्डेे प्रदेश में भ्रमण करना पड़े। ऐसे किसी भी कारण से दूर रहें, जिसके कारण शंकर घाणेकर के शरीर का तापमान बढ़ सकता हो। जीवन के उत्तर काल में शंकर घाणेकर को एपोप्लेक्सी से बचकर रहना चाहिए। यह शंकर घाणेकर के लिये अत्यन्त आवश्यक है कि शंकर घाणेकर समय पर सोएं और देर रात तक न जागें। क्योंकि काम के समय शंकर घाणेकर अत्यधिक ऊर्जावान और सदैव गतिशील होते हैं, जिसके कारण शंकर घाणेकर की दैनिक ऊर्जा का शीघ्र हृास होता है। सिर्फ पर्याप्त निद्रा के द्वारा ही शंकर घाणेकर अपनी इस ऊर्जा को पुनः प्राप्त कर सकते हैं।
‘आउटडोर‘ शंकर घाणेकर के खाली समय का अधिकांश भाग लेता है और शंकर घाणेकर इसे बहुत ही लाभदायक पाते हैं। लेकिन डर यह है कि शंकर घाणेकर उसे जरूरत से ज्यादा कर सकते हैं तथा अपनी शारीरिक संरचना को क्षति पहुंचा सकते हैं। शंकर घाणेकर खुले में घूमना पसन्द करते हैं, अतः यदि शंकर घाणेकर को घुड़सवारी आकर्षित नहीं करती है तो यह निश्चित है कि शंकर घाणेकर तेज मोटरिंग या सम्भवतः ट्रेन में लम्बी यात्रा पसन्द करते हों। शंकर घाणेकर पुस्तकों अथवा शैक्षिक यात्राओं से स्वयं को शिक्षित करने में रुचि रखते हैं। सम्भवतः इस प्रयास के द्वारा शंकर घाणेकर ज्ञान से अधिक सन्तोष प्राप्त करते हैं।