भगवान दादा
Aug 1, 1913
12:00:00
Amravati
77 E 50
20 N 58
5.5
Dirty Data
अप्रामाणिक स्रोत (अ.स्रो.)
भगवान दादा एक व्यावहारिक और क्षमतावान व्यक्ति हैं, भगवान दादा की योग्यता पर कोई भी प्रश्नचिह्न नहीं लगा सकता। भगवान दादा अनुशासित हैं और व्यवस्था को पसन्द करते हैं। ये गुण भगवान दादा में पर्याप्त विकसित हैं और छोटी से छोटी बातों पर आवश्यकता से अधिक ध्यान देने के कारण भगवान दादा जीवन की बृहत उपलब्धियों को प्राप्त नहीं कर पाते।भगवान दादा संवेदनशील और सहृदय हैं। यदि भगवान दादा को पता लगे कि भगवान दादा का कोई निकट व्यक्ति अत्यन्त पीड़ा व दुःख में है, तो भगवान दादा तुरन्त उसकी सहायता हेतु पहुँच जाते हैं।भगवान दादा के अन्दर हिचकिचाहट है। यद्यपि भगवान दादा के भीतर संसार में अपना मार्ग बनाने की क्षमता है। भगवान दादा के अन्दर इतनी ऊर्जा है कि भगवान दादा सफलता की किसी भी सीड़ी पर चढ़ सकें। किन्तु भगवान दादा अपनी हिचकिचाहट के कारण अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाते, जबकि अन्य कम क्षमतावान लोग वहां तक पहुंच जाते हैं। अतः भगवान दादा को अपनी काल्पनिक सीमाओं के बारे में सोचना नहीं चाहिए। भगवान दादा को यह मानकर चलना चाहिए कि भगवान दादा को सफलता मिलेगी हीे मिलेगी।भगवान दादा वास्तविक तथा व्यावहारिक सोच रखते हैं। भगवान दादा सदैव कुछ न कुछ प्राप्त करना चाहते हैं। भगवान दादा के अन्तःकरण में कुछ पाने की इच्छा सदैव दीप्तिमान रहती है। यह भगवान दादा को कभी-कभी व्यग्र बना देता है। लेकिन भगवान दादा को अपनी उपलब्धियों पर सदैव हीे गर्व रहता है।
भगवान दादा को प्रायः निराशा का सामना करना पडता है और भगवान दादा को अधिक की उम्मीद रहती है। भगवान दादा के इतने परेशान रहने के कारण भगवान दादा को जिन बातों का डर लगता है वह प्रायः घटित हो जाती हैं। भगवान दादा बहुत शर्मीले हैं, और स्वयं की अनुभूति एवं भावनाओं को व्यक्त करने में भगवान दादा परेशानी महसूस करते हैं। यदि भगवान दादा अपनी सारी सांसारिक समस्याओं को भूलकर प्रतिदिन कुछ क्षण ध्यान मुद्रा में बैठेंगे, तो पायेंगे कि दुनिया उतनी बुरी नहीं है जितनी प्रतीत होती है।भगवान दादा एक ही स्थान पर टिककर रहने वालों में से नहीं होंगे और इसी वजह से अधिक समय तक अध्ययन करना भगवान दादा को रास नहीं आएगा। इसका प्रभाव भगवान दादा की शिक्षा पर पड़ सकता है और उसके कारण भगवान दादा की शिक्षा में कुछ रुकावटें आ सकती है। अपने आलस्य पर विजय प्राप्त करने के बाद ही भगवान दादा शिक्षा के क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। भगवान दादा के अंदर अज्ञात को जानने की तीव्र उत्कंठा है और भगवान दादा की कल्पनाशीलता भगवान दादा को अपने विषयों में काफी हद तक सफलता दिलाएगी। इसका दूसरा पक्ष यह है कि भगवान दादा को अपनी एकाग्रता को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए ताकि जब भगवान दादा अध्ययन करने बैठें तो भगवान दादा को किसी तरह की समस्या का सामना ना करना पड़े और भगवान दादा की स्मरण शक्ति भी भगवान दादा की मदद करे। यदि भगवान दादा मन लगाकर मेहनत करेंगे और अपनी शिक्षा के प्रति आशान्वित रहेंगे तो कितने भी व्यवधान आएं, भगवान दादा अपने क्षेत्र में सफल होकर ही रहेंगे।
भगवान दादा स्वयं को अभिव्यक्त करना पसन्द करते हैं और जब लोग देख रहे होते हैं तो भगवान दादा कार्य को बेहतर तरीके से करते हैं। यदि भगवान दादा मंचपर हों तो भगवान दादा अधिक श्रोताओं के सम्मुख अपेक्षाकृत उत्तम प्रदर्शन करते हैं।