दयानंद सरस्वती
Feb 28, 1825
13:30:00
Kathiawar
71 E 0
22 N 20
5.5
The Times Select Horoscopes
सटीक (स.)
दयानंद सरस्वती के कुछ हद तक दार्शनिक चरित्र के हैं। दयानंद सरस्वती एक विशाल हृदय वाले व्यक्ति हैं हालांकि थोड़े से मुंहफट भी हैं। दयानंद सरस्वती काफी हद तक आत्मसम्मान के प्रति सचेत हैं और जो लोग दयानंद सरस्वती के इस चारित्रिक गुण को समझते हैं, वे दयानंद सरस्वती के अच्छे मित्र होते हैं।दयानंद सरस्वती उच्च आदर्श रखते हैं, जिन्हें प्रायः वास्तविकता के धरातल पर नहीं उतारा जा सकता। परन्तु जब दयानंद सरस्वती इसमें विफल होकर निराश हो जाते हैं तो दयानंद सरस्वती इसी कारण अत्यन्त हीे व्यग्र हो जाते हैं, इसलिये दयानंद सरस्वती समय से पूर्व ही कार्य के प्रति उदासीन हो जाते हैं। परिणामस्वरूप, दयानंद सरस्वती जीवन में न तो सफलता और न ही प्रसन्नता, आराम की प्राप्ति कर पाते हैं, जो कि दयानंद सरस्वती के गुणों को देखते हुए प्राप्त होनी चाहिए।दयानंद सरस्वती जनता के समक्ष अपने दयानंद सरस्वती को अभिव्यक्त करना जानते हैं और भगवान ने दयानंद सरस्वती को प्रसन्नमुखी होने का वरदान दिया है। हंसमुख होने के कारण दयानंद सरस्वती के अनेक मित्र हैं और दयानंद सरस्वती उनका समय-समय पर मनोरंजन करते रहते हैं। दयानंद सरस्वती के ऊपर दयानंद सरस्वती के दोस्तों का प्रभाव देखा जा सकता है, लेकिन यह नितान्त आवश्यक है कि दयानंद सरस्वती बुद्धिमत्तापूर्ण अपने मित्रों को चुनें।दयानंद सरस्वती की विफलता का सबसे बड़ा कारण यह है कि दयानंद सरस्वती बहुआयामी हैं, जिस कारणवश दयानंद सरस्वती की शक्ति बहुत सी दिशाओं मेें विभक्त हो जाती है। कृपया एक ही दिशा में विचारपूर्वक कार्य करें, जिससे दयानंद सरस्वती को अत्यन्त प्रसन्नता और लाभ प्राप्त होगा।
दयानंद सरस्वती आदर्शवादी व प्रेरणादायक हैं, क्योंकि दयानंद सरस्वती में अन्तर्निहित आध्यात्मिक विश्वास है। दयानंद सरस्वती बहुत संवेदनशील, लोकप्रिय और दूसरों की भावनाओं की कद्र करने वाले हैं। दयानंद सरस्वती ये जानते हैं कि जीवन की कठिनाइयाँ ही जीवन का पाठ हैं, जो कि दयानंद सरस्वती को पूर्णता प्राप्ति के लिये सीखने पड़ेंगे और यही दयानंद सरस्वती के सुख का प्रमुख कारण भी है।दयानंद सरस्वती अपने अंदर गूढ़ रहस्य समाए हुए रहते हैं। इसी वजह से सामान्य विषयों से इतर दयानंद सरस्वती की पकड़ कुछ ऐसे विषयों पर होगी जो हर किसी के बस की बात नहीं होगी। दूसरी ओर सामान्य शिक्षा की बात करें तो दयानंद सरस्वती को उसमें चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। अत्यधिक मेहनत और लगन के साथ प्रयास करने पर ही शिक्षा में सफलता मिल सकती है। दयानंद सरस्वती को नियमित रूप से अपनी विद्या के प्रति जागरूक रहना होगा और अभ्यास करना होगा ताकि दयानंद सरस्वती विषयों को समझकर उन्हें अपने अंदर समाहित कर सकें। अक्सर दयानंद सरस्वती बुरी संगति के शिकार हो जाते हैं। दयानंद सरस्वती को इस ओर विशेष रुप से ध्यान देना चाहिए क्योंकि बुरी संगति के कारण दयानंद सरस्वती की शिक्षा पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा और ऐसी संभावना है कि दयानंद सरस्वती की शिक्षा में रुकावट आए। कई बार स्थितियां दयानंद सरस्वती के विपरीत होंगी और दयानंद सरस्वती को शिक्षा से विमुख कर सकती हैं, इसलिए दयानंद सरस्वती को अपनी शिक्षा के मामले में गंभीरता से विचार करते हुए उस पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
दयानंद सरस्वती अन्य लोगों की अपेक्षा अधिक अन्तर्मुखी हैं। यदि दयानंद सरस्वती को बहुत से लोगों के समूह के सम्मुख जाना पड़े, तो दयानंद सरस्वती ‘स्टेज फोबिया’ से ग्रसित हो जाते हैं। दयानंद सरस्वती सबसे अधिक प्रेरित एकान्त में, इच्छानुसार कार्य अपनी गति से करने में होते हैं।