प्रणव मुखर्जी
Feb 1, 1935
17:52:20
Calcutta
88 E 20
22 N 30
5.5
Others|http://www.journalofastrology.com/article.php?article_id=423
प्रणव मुखर्जी सौन्दर्य-प्रेमी हैं, चाहे वह कला, दर्शनीयस्थल या आकर्षक व्यक्ति ही क्यों न हो। प्रणव मुखर्जी केवल बाह्य सौन्दर्य ही नहीं,अपितु आन्तरिक सौन्दर्य के प्रति भी आकर्षित होते हैं। अच्छा संगीत प्रणव मुखर्जी को पसन्द आता है, किसी व्यक्ति का सच्चरित्र प्रणव मुखर्जी को पसन्द आता है। प्रणव मुखर्जी सामान्य से ऊपर प्रत्येक वस्तुओं के पारखी हैं।दूसरों को खुश करने की प्रणव मुखर्जी के अन्दर नैसर्गिक क्षमता है। प्रणव मुखर्जी परेशान लोेगों को सान्त्वना देना अच्छी तरह से जानते हैं और प्रणव मुखर्जी जानते हैं कि लोगों को अपने प्रणव मुखर्जी से खुश कैसे रखा जाये। यह एक विरला गुण हैं एवं इस कारण संसार में प्रणव मुखर्जी जैसे व्यक्ति कम ही हैं।प्रणव मुखर्जी अन्य लोगों जितने व्यावहारिक नहीं है और प्रणव मुखर्जी समय के भी पाबन्द नहीं हैं।प्रणव मुखर्जी आवश्यकता से अधिक संवेदनशील और जो कि प्रणव मुखर्जी को कभी-कभी परेशानी में डाल देती है परन्तु प्रणव मुखर्जी की खिन्नता लड़ाई-झगड़े के रूप में बाहर नहीं आती है। असामंजस्य से प्रणव मुखर्जी हर कीमत पर दूर रहते हैं। सम्भवतः प्रणव मुखर्जी अपने मन से दुःख को दूर रखते हैं।
प्रणव मुखर्जी आदर्शवादी व प्रेरणादायक हैं, क्योंकि प्रणव मुखर्जी में अन्तर्निहित आध्यात्मिक विश्वास है। प्रणव मुखर्जी बहुत संवेदनशील, लोकप्रिय और दूसरों की भावनाओं की कद्र करने वाले हैं। प्रणव मुखर्जी ये जानते हैं कि जीवन की कठिनाइयाँ ही जीवन का पाठ हैं, जो कि प्रणव मुखर्जी को पूर्णता प्राप्ति के लिये सीखने पड़ेंगे और यही प्रणव मुखर्जी के सुख का प्रमुख कारण भी है।प्रणव मुखर्जी अपने अंदर गूढ़ रहस्य समाए हुए रहते हैं। इसी वजह से सामान्य विषयों से इतर प्रणव मुखर्जी की पकड़ कुछ ऐसे विषयों पर होगी जो हर किसी के बस की बात नहीं होगी। दूसरी ओर सामान्य शिक्षा की बात करें तो प्रणव मुखर्जी को उसमें चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। अत्यधिक मेहनत और लगन के साथ प्रयास करने पर ही शिक्षा में सफलता मिल सकती है। प्रणव मुखर्जी को नियमित रूप से अपनी विद्या के प्रति जागरूक रहना होगा और अभ्यास करना होगा ताकि प्रणव मुखर्जी विषयों को समझकर उन्हें अपने अंदर समाहित कर सकें। अक्सर प्रणव मुखर्जी बुरी संगति के शिकार हो जाते हैं। प्रणव मुखर्जी को इस ओर विशेष रुप से ध्यान देना चाहिए क्योंकि बुरी संगति के कारण प्रणव मुखर्जी की शिक्षा पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा और ऐसी संभावना है कि प्रणव मुखर्जी की शिक्षा में रुकावट आए। कई बार स्थितियां प्रणव मुखर्जी के विपरीत होंगी और प्रणव मुखर्जी को शिक्षा से विमुख कर सकती हैं, इसलिए प्रणव मुखर्जी को अपनी शिक्षा के मामले में गंभीरता से विचार करते हुए उस पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
प्रणव मुखर्जी की कठिन परिश्रम की प्रेरणा का मूल धन प्राप्ति की कामना है, क्योंकि प्रणव मुखर्जी को लगता है कि भौतिक ऐश्वर्यपूर्ण वातावरण दूसरों से सम्मान पाने के लिये अनिवार्य है। परन्तु प्रणव मुखर्जी का ऐसा सोचना सही नहीे है, प्रणव मुखर्जी उस दिशा में तभी जाएं यदि प्रणव मुखर्जी को लगता है कि उस दिशा में सुख की प्राप्ति होगी।