संपूर्णानंद
Jan 1, 1890
14:00:00
Varanasi
83 E 0
25 N 20
5.5
Lagna Phal (Garg)
संदर्भ (स.)
संपूर्णानंद एक रहस्यमय व्यक्तित्व के स्वामी हैं। संपूर्णानंद अपने संपूर्णानंद को जानने वाले एकमात्र व्यक्ति हैं। संपूर्णानंद अपने साधारण स्वभाव से पूर्णतः विपरीत व्यवहार करने की क्षमता रखते हैं।संपूर्णानंद के अन्दर एक अद्भुत आकर्षण-शक्ति है और इसका प्रयोग संपूर्णानंद अच्छे या बुरे, दोनों तरह के कामों के लिये कर सकते हैं। संपूर्णानंद इसे कैसे करते हैं यह पूर्णतः संपूर्णानंद की इच्छा पर निर्भर करता है। भाग्यवश संपूर्णानंद स्वयं को अच्छा करने के लिये नियंत्रित कर सकते हैं और परिणामस्वरूप संपूर्णानंद की इस आकर्षण शक्ति का दूसरों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।संपूर्णानंद व्यापक दिलोदिमाग के व्यक्ति हैं। संपूर्णानंद दूसरों की मदद करने के लिये सदैव तत्पर रहते हैं। संपूर्णानंद खुशहाली की महत्ता को समझते हैं और उसे प्राप्त करना भी जानते हैं परन्तु संपूर्णानंद दूसरों की कीमत पर खुशहाली कभी भी प्राप्त नहीं करते हैं। निश्चय ही संपूर्णानंद दूसरों की खुशी को प्राथमिकता देते हैं।संपूर्णानंद एक सहानुभूतिपूर्ण, परिश्रमी, उदार एवं दोस्ताना मिजाज व्यक्ति हैं लेकिन संपूर्णानंद शीध्र ही क्रोधित हो जाते हैं। जब संपूर्णानंद क्रुद्ध होते हैं तो संपूर्णानंद पूर्णतः आत्मनियंत्रण खो देते हैं और ऐसे काम कर बैठते हैं जिसके लिये बाद में संपूर्णानंद को पछताना पड़ता है। अतः संपूर्णानंद को स्वयं पर बेहतर नियंत्रण रखने का प्रयास करना चाहिये।
संपूर्णानंद वस्तु व व्यक्ति के आर-पार देख सकते हैं,अर्थात् संपूर्णानंद से कुछ भी छुपाना सम्भव नहीं है। संपूर्णानंद की अन्तर्दृष्टि की यही स्पष्टता संपूर्णानंद को विपक्षियों से पार पाने में व सन्तोष प्राप्त करने में संपूर्णानंद की सहायता करती है। संपूर्णानंद के अन्दर परिस्थितियों को तुरन्त समझने की एवं समस्याओं के त्वरित निराकरण की क्षमता है।संपूर्णानंद लक्ष्य पर नियंत्रित रहने वाले हैं और किसी का भी दबाव महसूस नहीं करते। संपूर्णानंद स्वभाविक तौर पर एक विद्वान होंगे और समाज में संपूर्णानंद की छवि एक प्रतिष्ठित और ज्ञानी व्यक्ति के रूप में होगी। इसकी वजह होगी संपूर्णानंद का ज्ञान और संपूर्णानंद की शिक्षा। चाहे संपूर्णानंद अन्य चीजों को त्याग दें लेकिन शिक्षा में बेहतर करना संपूर्णानंद की सबसे पहली प्राथमिकता होगी और यही संपूर्णानंद को सबसे अलग रखेगी। संपूर्णानंद को अपने जीवन में अनेक ज्ञानी और प्रतिष्ठित लोगों के द्वारा मार्गदर्शन प्राप्त होगा और उसके परिणामस्वरुप संपूर्णानंद अपनी शिक्षा को उन्नत बना पाएंगे। संपूर्णानंद के अंदर सहज रूप से ज्ञान मौजूद है। संपूर्णानंद को केवल स्वयं को उन्नत बनाते हुए उस ज्ञान को अपने निजी जीवन में समाहित करने का प्रयास करना होगा। ज्ञान के प्रति संपूर्णानंद की भूख संपूर्णानंद को सबसे आगे रखेगी और इसी वजह से संपूर्णानंद की गिनती विद्वानों में होगी। कभी-कभी संपूर्णानंद अति स्वतंत्रता का शिकार हो जाते हैं, जिसकी वजह से संपूर्णानंद की शिक्षा बाधित हो सकती है, इसलिए इस से बचने का प्रयास करें।
संपूर्णानंद दूसरों की प्रशंसा करने में प्रायः कंजूसी करते हैं, जिस कारण संपूर्णानंद विरोध के पात्र बन जाते हैं। संपूर्णानंद के मन जो कुछ भी हो उसे आज से ही कहना आरम्भ करें। परिणामस्वरूप संपूर्णानंद लोगों से बेहतर सम्बन्ध पायेंगे।