एकलव्य द्विवेदी
Jul 22, 1988
12:0:0
Allahabad
81 E 50
25 N 57
5.5
Unknown
अप्रामाणिक स्रोत (अ.स्रो.)
जहां तक एकलव्य द्विवेदी जैसे लोगों का प्रश्न है, आध्यात्मिक प्रेम का कोई अस्तित्व नहीं है। एकलव्य द्विवेदी प्रेम में अत्यधिक व्यग्र होते हैं। यदि एकलव्य द्विवेदी ने एकबार व्यक्त कर दिया, तो एकलव्य द्विवेदी अपने लगाव से विमुख नहीं होते हैं। यद्यपि, विरोधी की भूमिका में जो कोई भी हो, एकलव्य द्विवेदी उससे बलपूर्वक निपटते हैं।
जबकि एकलव्य द्विवेदी हृष्ट-पुष्ट नहीं हैं, कुछ ऐसे कारण हैं, जो एकलव्य द्विवेदी को अपने स्वास्थ्य के प्रति सोचने के लिये बाध्य करते हैं। एकलव्य द्विवेदी की मुख्य बीमारी वास्तविक के स्थान पर काल्पनिक होगी, तथापि यह एकलव्य द्विवेदी के लिये अनावश्यक उत्तेजना का कारण बनेगी। एकलव्य द्विवेदी अपने अन्दर बार-बार झांकते हैं व आश्चर्य करते हैं कि ऐसा क्यों हुआ, जबकि वास्तविकता में दुबारा भी सोचने वाली कोई बात नहीं होती है। एकलव्य द्विवेदी चिकित्सा सम्बन्धी पुस्तकें पढ़ते हैं और स्वतः ही खतरनाक बीमारी के लक्षण इजाद कर लेते हैं। एकलव्य द्विवेदी क कभी-कभी गले की समस्या से पीडि़त हो सकते हैं। चिकित्सक द्वारा बताई गईं दवाओं के अतिरिक्त अन्य प्रकार की दवाओं का सेवन न करें। हमारी एकलव्य द्विवेदी को सलाह है कि नैसर्गिक जीवन जिएं, पर्याप्त नींद लें, पर्याप्त व्यायाम करें तथा विचारपूर्वक भोजन करें।
एकलव्य द्विवेदी के कई शौक हैं और एकलव्य द्विवेदी इन शौकों से ओत-प्रोत हैं। परन्तु अचानक ही एकलव्य द्विवेदी धैर्य खो देते हैं व उन्हें एक तरफ कर देते हैं । फिर एकलव्य द्विवेदी कोई नया शौक चुन लेते हैं और उसका भी यही हश्र होता है। एकलव्य द्विवेदी जीवन को इसी तरह से जीते जाते हैं। सारांशतः एकलव्य द्विवेदी की अभिरुचियां एकलव्य द्विवेदी को पर्याप्त आनन्द देती हैं, साथ ही एकलव्य द्विवेदी को बहुत कुछ सीखने का मौका भी देती हैं।