जॉय मुखर्जी
Feb 24, 1939
12:00:00
Jhansi
78 E 34
25 N 27
5.5
Dirty Data
अप्रामाणिक स्रोत (अ.स्रो.)
जहां तक जॉय मुखर्जी जैसे लोगों का प्रश्न है, आध्यात्मिक प्रेम का कोई अस्तित्व नहीं है। जॉय मुखर्जी प्रेम में अत्यधिक व्यग्र होते हैं। यदि जॉय मुखर्जी ने एकबार व्यक्त कर दिया, तो जॉय मुखर्जी अपने लगाव से विमुख नहीं होते हैं। यद्यपि, विरोधी की भूमिका में जो कोई भी हो, जॉय मुखर्जी उससे बलपूर्वक निपटते हैं।
जॉय मुखर्जी की स्वास्थ्य-संरचना बहुत अच्छी है, लेकिन जॉय मुखर्जी स्नायु-विकार एवं अपच से पीडि़त रह सकते हैं। पहले का कारण जॉय मुखर्जी की जरूरत से ज्यादा संवेदनशील प्रकृति है। जॉय मुखर्जी अपेक्षाकृत शीघ्रता से अपनी जीवन-ऊर्जा खो देते है और वह जीवन, जॉय मुखर्जी जिसका आनन्द लेते हैं, इसमें जॉय मुखर्जी की कोई मदद नहीं करता। अति भोग, अपच का मुख्य कारण है। अपच का मुख्य कारण अधिकता में लिया गया भोजन है। जो जॉय मुखर्जी खाते हैं, या तो वह बहुत भारी होता है या दिन में बहुत देरी से लिया हुआ होता है।
जॉय मुखर्जी के अन्दर वस्तुएं एकत्रित करने की भावना अत्यधिक विकसित हैय जैसे चीनी मिट्टी की वस्तुएं, डाक टिकट, पुराने सिक्के या कुछ भी।इससे अधिक जॉय मुखर्जी को पुरानी वस्तुएं फेंकने या छोड़ने में मुश्किल महसूस होगी। जॉय मुखर्जी को सदैव यह लगता है कि भविष्य में जॉय मुखर्जी को इनकी आवश्यकता पड़ेगी। जॉय मुखर्जी जन्मजात संग्रह के शौकीन हैं। जॉय मुखर्जी के ऐसे ही अन्य शौक प्रायः इन्डोर होंगे न कि आउटडोर। जॉय मुखर्जी के अन्दर कार्य करने का धैर्य है और यदि जॉय मुखर्जी के अन्दर क्षमता नहीं है,तो जॉय मुखर्जी उसे आसानी से अर्जित कर लेते हैं।