शाहिद बलवा
Jan 1, 1974
12:0:0
Gujarat
72 E 40
23 N 3
5.5
Unknown
अप्रामाणिक स्रोत (अ.स्रो.)
शाहिद बलवा के अनुसार विवाह जीवन का हिस्सा है, जिसे घटित होना ही है। साधारणतः शाहिद बलवा विवाह-बन्धन से अधिक मित्रता को मानते। सामान्यतः, शाहिद बलवा प्रेम पत्र नहीं लिखेंगे और जितना कम रोमांस शाहिद बलवा के प्रेम प्रसंग में आएगा, उतना ही अच्छा है। पर इससे ये निष्कर्ष नहीं निकालना चाहिए कि विवाह के प्रति शाहिद बलवा का दृष्टिकोण सम्बन्ध-विच्छेद से प्रभावित है। इसके विपरीत यदि एक बार शाहिद बलवा विवाह बन्धन में बंध गये, तो शाहिद बलवा इस सम्बन्ध को सामंजस्यव मानवतापूर्ण बनाने का प्रयास करेंगे, जोकि विवाह के कई सालों बाद भी जारी रहेगा।
शाहिद बलवा के लिये आराम की विशेष महत्ता है। परिणामस्वरूप, शाहिद बलवा स्वादलोलुप हैं और भोजन का पूर्ण आनन्द उठाते हैं। निश्चित तौर पर शाहिद बलवा जीने के लिये नहीं खाते, अपितु खाने के लिये जीते हैं। इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि पाचन-तन्त्र शाहिद बलवा के शरीर का ऐसा भाग है, जो शाहिद बलवा को सर्वाधिक परेशानी देगा। शाहिद बलवा को अपच जैसी बीमारियों को अनदेखा नहीं करना चाहिए और जब वे आती हैं, तो उन्हें दवाओं के द्वारा ठीक करने का प्रयत्न नहीं करना चाहिए। शाहिद बलवा को सैर एवं हल्का व्यायाम करना चाहिए। हमारी शाहिद बलवा को यह सलाह है कि शाहिद बलवा पर्याप्त ताजी हवा लें, भोजन पर नियन्त्रण रखें और फलों का सेवन करें। परन्तु यदि फिर भी कोई लाभ न हो, तो चिकित्सक के पास जाने से न झिझकें। पचास साल की आयु के पश्चात् आलस्य जैसे रोगों से दूर रहें। शाहिद बलवा की चीजों को छोड़ने की आदत के कारण शाहिद बलवा जिन्दगी से दूर होत जाएंगे। अपनी वस्तुओं में रूचि रखें, अपनी रुचियों का विकास करें एवं ध्यान रखें कि अगरशाहिद बलवा युवा-मण्डली में रहते हैं, तो शाहिद बलवा कभी भी उम्र का शिकार नहीं होेते।
‘आउटडोर‘ शाहिद बलवा के खाली समय का अधिकांश भाग लेता है और शाहिद बलवा इसे बहुत ही लाभदायक पाते हैं। लेकिन डर यह है कि शाहिद बलवा उसे जरूरत से ज्यादा कर सकते हैं तथा अपनी शारीरिक संरचना को क्षति पहुंचा सकते हैं। शाहिद बलवा खुले में घूमना पसन्द करते हैं, अतः यदि शाहिद बलवा को घुड़सवारी आकर्षित नहीं करती है तो यह निश्चित है कि शाहिद बलवा तेज मोटरिंग या सम्भवतः ट्रेन में लम्बी यात्रा पसन्द करते हों। शाहिद बलवा पुस्तकों अथवा शैक्षिक यात्राओं से स्वयं को शिक्षित करने में रुचि रखते हैं। सम्भवतः इस प्रयास के द्वारा शाहिद बलवा ज्ञान से अधिक सन्तोष प्राप्त करते हैं।