विजय शंकर
Jan 26, 1991
12:0:0
Tirunelvelli
77 E 43
8 N 45
5.5
Unknown
अप्रामाणिक स्रोत (अ.स्रो.)
विजय शंकर के अनुसार विवाह जीवन का हिस्सा है, जिसे घटित होना ही है। साधारणतः विजय शंकर विवाह-बन्धन से अधिक मित्रता को मानते। सामान्यतः, विजय शंकर प्रेम पत्र नहीं लिखेंगे और जितना कम रोमांस विजय शंकर के प्रेम प्रसंग में आएगा, उतना ही अच्छा है। पर इससे ये निष्कर्ष नहीं निकालना चाहिए कि विवाह के प्रति विजय शंकर का दृष्टिकोण सम्बन्ध-विच्छेद से प्रभावित है। इसके विपरीत यदि एक बार विजय शंकर विवाह बन्धन में बंध गये, तो विजय शंकर इस सम्बन्ध को सामंजस्यव मानवतापूर्ण बनाने का प्रयास करेंगे, जोकि विवाह के कई सालों बाद भी जारी रहेगा।
विजय शंकर के लिये आराम की विशेष महत्ता है। परिणामस्वरूप, विजय शंकर स्वादलोलुप हैं और भोजन का पूर्ण आनन्द उठाते हैं। निश्चित तौर पर विजय शंकर जीने के लिये नहीं खाते, अपितु खाने के लिये जीते हैं। इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि पाचन-तन्त्र विजय शंकर के शरीर का ऐसा भाग है, जो विजय शंकर को सर्वाधिक परेशानी देगा। विजय शंकर को अपच जैसी बीमारियों को अनदेखा नहीं करना चाहिए और जब वे आती हैं, तो उन्हें दवाओं के द्वारा ठीक करने का प्रयत्न नहीं करना चाहिए। विजय शंकर को सैर एवं हल्का व्यायाम करना चाहिए। हमारी विजय शंकर को यह सलाह है कि विजय शंकर पर्याप्त ताजी हवा लें, भोजन पर नियन्त्रण रखें और फलों का सेवन करें। परन्तु यदि फिर भी कोई लाभ न हो, तो चिकित्सक के पास जाने से न झिझकें। पचास साल की आयु के पश्चात् आलस्य जैसे रोगों से दूर रहें। विजय शंकर की चीजों को छोड़ने की आदत के कारण विजय शंकर जिन्दगी से दूर होत जाएंगे। अपनी वस्तुओं में रूचि रखें, अपनी रुचियों का विकास करें एवं ध्यान रखें कि अगरविजय शंकर युवा-मण्डली में रहते हैं, तो विजय शंकर कभी भी उम्र का शिकार नहीं होेते।
‘आउटडोर‘ विजय शंकर के खाली समय का अधिकांश भाग लेता है और विजय शंकर इसे बहुत ही लाभदायक पाते हैं। लेकिन डर यह है कि विजय शंकर उसे जरूरत से ज्यादा कर सकते हैं तथा अपनी शारीरिक संरचना को क्षति पहुंचा सकते हैं। विजय शंकर खुले में घूमना पसन्द करते हैं, अतः यदि विजय शंकर को घुड़सवारी आकर्षित नहीं करती है तो यह निश्चित है कि विजय शंकर तेज मोटरिंग या सम्भवतः ट्रेन में लम्बी यात्रा पसन्द करते हों। विजय शंकर पुस्तकों अथवा शैक्षिक यात्राओं से स्वयं को शिक्षित करने में रुचि रखते हैं। सम्भवतः इस प्रयास के द्वारा विजय शंकर ज्ञान से अधिक सन्तोष प्राप्त करते हैं।